अब नहीं आती जागते रहो की आवाज, बदल गयी है चौकीदार की भूमिका

अब नहीं आती जागते रहो की आवाज, बदल गयी है चौकीदार की भूमिका

By Prabhat Khabar News Desk | May 27, 2024 6:33 PM

अब करने लगे हैं थाने से संबंधित काम,थानों में स्वीकृत पदों की जगह कार्यरत कर्मियों की संख्या है कम पतरघट. आजादी के बाद पुलिसिया तंत्र आज की तरह पूर्ण रूप से विकसित एवं हाइटेक नहीं था. उस दौर में पुलिस के नाम से लोगों में खौफ रहता था. रात में उस दौरान थाना के चौकीदार द्वारा विभिन्न बस्तियों में घूम-घूमकर रात भर जागते रहो की आवाज लगाते थे. उस आवाज में इतना भरोसा रहता था कि लोग अपने-अपने घरों में बेखौफ होकर सोता था. आज के दौर में भी चौकीदार हैं, लेकिन अब उनके काम करने के तौर तरीके बिल्कुल बदल गये हैं. अब के चौकीदार संबंधित थाना प्रभारी के सरकारी तथा निजी वाहन चलाये जाने से लेकर आवास का देखभाल फूल में पानी देने से लेकर साहब का खाना बनाने व वर्दी की साफ-सफाई तक सिमटकर रह गया है. गांवों की गलियों में जागते रहो की आवाज के साथ लोगों को रात के पहर चौकीदारों द्वारा सजग रहने की पहरेदारी अब बीते जमाने की बात दिखाई देने लगी है. रात में लाठियों की खट-खट के साथ जागते रहो की आवाज से पूरा गांव चैन की नींद सोता है. पहले चौकीदारों को समाज के हर वर्ग के लोगों के बारे में विस्तृत जानकारी होती थी और वे समाज की हर गतिविधियों पर निगरानी रखते थे तथा थाना प्रभारी को इसकी सटीक सूचना उपलब्ध करवाये जाने का एक बेहतर जरिया हुआ करता था. थाना प्रभारी भी चौकीदारों से प्राप्त सूचना का बेहतर इस्तेमाल करते थे. लेकिन समय के साथ चौकीदारों की भूमिका भी अब बदल गयी है. अब के दौर में चौकीदार बैंक, चौक चौराहों, सीएसपी, व्यावासायिक प्रतिष्ठान, पेट्रोल पंप की पहरेदारी के साथ-साथ थाना प्रभारी के निजी तथा सरकारी वाहन चलाये जाने के साथ सिमटकर रह गया है. गांव की गलियों में अब रात की चौकीदारी प्रथा बिल्कुल समाप्त हो गयी है. पहरेदारी की प्रथा समाप्त होने से क्षेत्र के हरेक गांवों में चोरी, डकैती, राहजनी, छिनतई की घटनाओं में काफी इजाफा हो रहा है. थानों में स्वीकृत पदों की जगह कार्यरत कर्मियों की संख्या कम अब पढ़े लिखे चौकीदार मुंशीगीरी से लेकर वायरलेस बाबू, डाक लाना पहुंचाना, कैदियों को मंडल कारा पहुंचाना, बैंक ड्युटी सहित विभिन्न तरह के आयोजनों का जिम्मा संभालने में लगे रहते हैं. ड्युटी करने वाले चौकीदारों को रात को पहरा देने की पहरा देने की बाध्यता नहीं रह गयी है. 9 पंचायतों वाले पतरघट थाना क्षेत्र अंतर्गत सैकड़ों बड़ी एवं छोटी बस्ती है. जिसकी निगरानी तथा सुरक्षा व्यवस्था कायम रखने के लिए थाना प्रभारी अजय कुमार पासवान सहित कुल 15 पुलिस अवर निरीक्षक व एएसआई शामिल हैं. जिसमें एक महिला पुलिस अधिकारी एवं साक्षर सिपाही रवि कुमार मुंशी के तौर पर काम कर रहे हैं. थाना में कुल चौकीदार की संख्या 18 है. दफादार एक भी नहीं है. जबकि पूर्व की अपेक्षा अब गांवों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. उसी रफ्तार से क्षेत्र में आपराधिक घटनाओं की संख्या में भी इजाफा होता है. लेकिन स्थानीय पुलिस उसी हिसाब से दोषियों पर त्वरित कार्रवाई कर सफलता हासिल कर भी लेती है. पतरघट थाना को पूर्व में ओपी का दर्जा प्राप्त था. जिसे स्थानीय विधायक सह बिहार सरकार के मंत्री रत्नेश सादा के अथक प्रयास से थाना का दर्जा दिया गया. जिसका कुछ माह पूर्व एसपी हिंमाशु के द्वारा शुभारंभ किया गया था. पूर्व में पतरघट ओपी संसाधन विहिन तथा पुलिस अधिकारियों की घोर कमी रहने के कारण अपराध ग्रस्त एरिया की श्रेणी में आता था. लेकिन थाना का दर्जा प्राप्त होने के बाद पुलिस वाहन तथा बड़े पैमाने पर पुलिस अधिकारियों के पदस्थापन से बढ़ रहे अपराध पर अंकुश लगा है. फोटो – सहरसा 03 – पतरघट थाना.

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