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मॉडल अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई पूरी तरह से ठप

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का उपयोग बिजली रहने तक ही है सीमित

प्रबंधन के हाथ में नहीं था एक भी भरा ऑक्सीजन सिलिंडर बिजली संचालित छोटे इमरजेंसी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के सहारे लड़ रहे थे जिंदगी से जंग सहरसा मॉडल सदर अस्पताल इन दिनों बद से बदतर स्थिति को लेकर काफी सुर्खियों में है. अस्पताल की बदहाल व्यवस्था प्रबंधन के लोगों की लापरवाही की चीख-चीख कर पोल खोल रही है. विभागीय नियमों के विरुद्ध प्रबंधन मरीजों की सुविधा को ताक पर रखकर काम की जगह नाकामी फैला रही है. जिसका जीता जागता उदाहरण मंगलवार से शुरू होकर बुधवार तक देखने को मिला. जहां पूरे मॉडल अस्पताल में मरीजों की सांसें ऑक्सीजन की सप्लाई पूरी तरह से ठप पड़़ गयी. एक भी भरा ऑक्सीजन सिलिंडर प्रबंधन के हाथ में नहीं था. गंभीर मरीज कोविड 19 के समय अस्पताल को उपलब्ध कराये गये बिजली संचालित छोटे इमरजेंसी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के सहारे जिंदगी से जंग लड़ रहे थे. लेकिन लापरवाही के बीच गंभीर मरीज यह जंग कब तक लड़ेंगे. क्योंकि लापरवाह प्रबंधन के लोग बिजली जाने के बाद जेोरेटर जैसे विकल्प का इस्तेमाल तक समय से नहीं करते हैं. ऐसे में होने वाली किसी तरह की अनहोनी का जिम्मेवार आखिरकार कौन होगा. जबकि सदर अस्पताल परिसर में ही लगा करोड़ों का ऑक्सीजन प्लांट दुरुस्त कराने के नाम पर लगभग दो वर्षों से जंग खाने का इंतजार कर रहा है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का उपयोग बिजली रहने तक ही है सीमित कोविड 19 के समय ही सदर अस्पताल में उपलब्ध करायं गये आपातकालीन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बिजली से संचालित होने वाली डिवाइस है. जिसकी कैपेसिटी यह है कि यह छोटा कंसंट्रेटर एक मिनट में एक या दो लीटर तक ही ऑक्सीजन सप्लाई कर पाता है. वहीं बड़ा कंसंट्रेटर एक मिनट में पांच से दस लीटर तक ऑक्सीजन सप्लाई करने की कैपेसिटी रखती है. लेकिन कोविड के समय सदर अस्पताल को सिर्फ 6 छोटा ऑक्सिजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराया गया था. जिसे फिलहाल बढाकर 16 कंसंट्रेटर कर दिया गया. लेकिन बुधवार को मॉडल अस्पताल के ट्रायज रूम से लेकर सभी इमरजेंसी वार्डों में बिजली के सहारे चलने वाली सिर्फ 10 छोटा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ही उपलब्ध पाया गया. जो गंभीर मरीज के इस्तेमाल में लगाया गया था. लेकिन मॉडल सदर अस्पताल में बिजली जाने आने की समस्या अनवरत बनी रहती है. जिसे कर्मी लापरवाही दिखाते उसके विकल्प जेनेरेटर का इस्तेमाल समय से नहीं करते हैं. जो कोई नयी बात नहीं है. कर्मी बिजली जल्द आने की उम्मीद में जेनेरेटर स्टार्ट करने में काफी विलंब कर देते हैं. ऐसे में बिना सप्लाई ऑक्सीजन के कंसंट्रेटर के सहारे गंभीर मरीज कितनी देर जीवित रह सकते हैं. ऐसे काम करता है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का काम है कि यह हवा से ऑक्सीजन को अलग करती है. यह नेजल कैनुला के जरिए ऑक्सीजन की अधिकता वाली हवा मरीज तक पहुंचाती है. क्लीनिकल स्टडीज से साबित हुआ है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन थेरेपी के मामले में बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि दूसरी तरह के ऑक्सीजन डिलीवरी सिस्टम्स. ये क्रायोजेनिक ऑक्सीजन है. यह पोर्टेबल और इस्तेमाल में आसान होते हैं. इसकी काॅस्ट और मेंटेनेंस कम है. मरीज इन्हें घर पर भी डाॅक्टर के सुपरविजन में इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि इसका 24 घंटों से ज्यादा लगातार इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. कूलिंग के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को 30 मिनट के लिए बंद करना जरूरी होता है. बिजली जाने की स्थिति में इसे चलाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी बैकअप होना जरूरी है. मरीज की जगह स्ट्रेचर से होती है दवा ढुलाई मॉडल अस्पताल आने वाले गंभीर मरीज के परिजन स्ट्रेचर के लिए इधर उधर भटकते रहते हैं और अस्पताल कर्मी उसी स्ट्रेचर से स्टोर की दवा ढुलाई करने से बाज नहीं आते. बुधवार को भी ऐसा ही देखने को मिला. जब एक दुर्घटनाग्रस्त मरीज को सरकारी एंबुलेंस से लेकर उसके परिजन मॉडल अस्पताल पहुंचे. लेकिन उन्हें अपने मरीज को एंबुलेंस से उतारने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिल रहा था. वहीं ओटी के समीप बने दवा भंडार के कर्मी खुलेआम स्ट्रेचर से दवा की ढुलाई कर रहे थे. मामले को लेकर जब सिविल सर्जन डॉ कात्यायनी मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सिलिंडर जरूरत पड़ने पर लोकल स्तर से खरीद की जाती है. लेकिन अस्पताल में सिलिंडर खत्म है, इसकी पूरी जानकारी अस्पताल उपाधीक्षक देंगे. वहीं जब अस्पताल उपाधीक्षक डॉ एसपी विश्वास से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. सुबह ही ऑक्सीजन सिलिंडर मंगाया गया है. मंगलवार की शाम में ऑक्सीजन की समस्या आयी थी. लेकिन डीएस को जब यह बात बतायी गयी कि बुधवार के दोपहर तक अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं थी और मरीज को कंसंट्रेटर पर रखा गया था तो उन्होंने कहा कि ठीक है भंडार पाल से पूछते हैं. उसे सुबह ही ऑक्सीजन सिलिंडर मंगाने के लिए कहा गया था.

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