पब्लिक हेल्थ खतरे में, ना के बराबर है वैध जांच घर

पब्लिक हेल्थ खतरे में, ना के बराबर है वैध जांच घर

By Prabhat Khabar News Desk | June 6, 2024 6:39 PM

छोटी-छोटी बातों की अनदेखी की स्वास्थ्य विभाग नहीं करती जांच सहरसा . दिनभर विभाग में बैठकर तनख्वाह व टीए, डीए की बात करने वाले बाबुओं को अपनी परिवार की बेशक फिक्र हो. लेकिन वह शहर में आम पब्लिक के स्वास्थ्य के साथ मानो खिलवाड़ ही कर रहा है. ताज्जुब की बात है शहर में वैध जांच घर ना के बराबर है. अधिकांश अल्ट्रासाउंड क्लिनिक व एक्स रे लैब बिना डॉक्टर की निगरानी के चल रहे हैं. इन लैबों की कोई जांच विभाग नहीं करता है. उल्टा जांच के नाम पर खानापूर्ति करके स्वास्थ्य विभाग ने पब्लिक हेल्थ को खतरे के घेरे में डाल रखा है. शिकायत की आवाज उठती है लेकिन सभी की बात अनसुनी कर दी जाती है. चंद बचत से मरीज की जान खतरे में शहर के एक्स-रे क्लीनिकों में ओटीजी जांच, जहां दातों का एक्स-रे किया जाता है. उसमें प्रयुक्त होने वाले चंद पैसों की कीमत का एक प्लास्टिक की बनी ट्यूब होती है. इसे दांतों से पकड़ना पड़ता है. जानकर हैरत होगी कि इसे भी कोई नहीं बदलता है. जगदंबा डिजिटल एक्स-रे के मनीष कुमार ने बताया कि इसे हम पानी से धो देते हैं. चंद पैसों के कीमत का ट्यूब जो मरीज के मुंह में जाता है व मरीज के लार के संपर्क में आता है. उसे विषाणु रहित करने के लिए सिर्फ नल के पानी से सेनेटाइज कर दिया जाता है. इसकी कोई जांच नहीं है. कोई कोई मरीज विरोध तो करता है लेकिन बीमारी की मजबूरी में वह भी प्रतिकार नहीं करता. जैसी स्थिति होती है जांच करा कर चला जाता है. मरीज भोला साह कहते हैं कि शिकायत बेनतीजा ही रहती है. इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है. यह तरीका सीधे-सीधे रोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने का है. इस तरह रोगों पर नियंत्रण नहीं बल्कि फैलाव ही होता है. बिना रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर के निगरानी में चल रहे इन एक्स रे क्लीनिकों की जांच करना स्वास्थ्य विभाग की अहम जिम्मेदारी होती है. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. डॉक्टर इसी अवैध रिपोर्ट को वैध मानकर इलाज कर रहे हैं. लापरवाही से बढ रहा खतरा इस तरह के जांच से मरीज कई तरह के बीमारियों के चपेट में आ रहे है. शहर में कैंसर, हेपेटाइटिस बी एवं एड्स के रोगों में भी वृद्धि हुई है. जहां टीवी जैसी बीमारी पर नियंत्रण की बात की जाती है. वहीं इसके मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. इसका बडा कारण इस तरह की लापरवाही भी हो सकती है. क्लीनिकों के अंदर डिस्पोजेबल किट्स का उपयोग न होना, साफ-सफाई पर ध्यान ना देना, चादरों, पर्दा, तकिया को नहीं बदला जाना, टेस्ट ट्यूब, सिरिंज व अन्य उपकरणों के निगरानी का अभाव, बार-बार उपयोग में लाने वाले उपकरण को ठीक से स्टरलाइज ना करना यह बड़े खतरे का संकेत है. कई डॉक्टरों के क्लीनिक में भी इसकी कमी दिखती है. लेकिन भगवान भरोसे चल रहे मरीजों की परवाह कौन करेगा. जब स्वास्थ्य महकमा भी मूक दर्शक बना हुआ हो. फोटो – सहरसा 32- ओटीजी एक्स रे करवाता मरीज, मुंह में लगा ट्यूब फोटो – सहरसा 33- एक्स रे में व्यवहार हो रही ट्यूब फोटो – सहरसा 34- मशीनों की हालत, सुरक्षा नहीं

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