जलस्तर बढ़ने पर हो सकती है परेशानी, वर्ष 2016 के जुलाई महीने में कटाव की वजह दो दिनों तक बंद रहा था परिचालन सिमरी बख्तियारपुर . नेपाल के तराई इलाके में हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से कोसी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी देखी जा रही है. वहीं रविवार को कोसी का डिस्चार्ज एक लाख क्यूसेक से ज्यादा होने की वजह से अगले एक -दो दिनों में कोसी के जलस्तर में और बढ़ोतरी होगी और जिस वजह से फनगो हॉल्ट के निकट रेलवे ट्रैक के नजदीक पानी पहुंचने का खतरा बना हुआ है. सभी पुलों पर हो रही है निगरानी बीते कई दिनों से कोसी बराज से लगातार छोड़े जा रहे पानी का प्रकोप फनगो हॉल्ट के निकट स्थित कटाव स्थल पर दिखना शुरू हो गया है. मिली जानकारी के मुताबिक फनगो हॉल्ट के निकट स्पर संख्या छह और सात के बीच हुए नदी मे जलस्तर बढ़ने के बाद रेलवे भी सक्रिय है. रेलवे द्वारा लगातार जलस्तर और कटाव की निगरानी की जा रही है. हालांकि कोसी बराज से पानी ज्यादा मात्रा मे छोड़ी गयी तो परेशानी आ सकती है और परिचालन को स्थगित करना पड़े. वहीं सहरसा-मानसी रेलखंड अंतर्गत फनगो हॉल्ट के निकट स्थित रेल पुल संख्या 47 पर भी रेलवे की नजर बनी हुई है. रेलवे के मुताबिक सहरसा-मानसी रेलखंड के पुल संख्या 44, 45, 47, 48 और 50 पर रेलवे द्वार वाटर लेवल मोनीटरिंग सिस्टम लगाया गया है. जिसके द्वारा लगातार घटते-बढ़ते जलस्तर की सूचना रेलवे को मिल रही है. 2016 में रेलखंड पर लग गया था ब्रेक सहरसा-मानसी रेलखंड के फनगो हॉल्ट के निकट कोसी का कटाव रेलवे के लिए हमेशा से सिर दर्द बना हुआ है. वर्ष 2016 में तो स्थिति ऐसी बन गयी जब रेलखंड में रेलसेवा पर ब्रेक लगाना पड़ा था. वर्ष 2016 के जुलाई महीने में कटाव की वजह रेलवे द्वारा आनन-फानन मे रेलवे अधिकारियों की भारी-भरकम फौज फनगो हॉल्ट मे तैनात की गयी, लेकिन तैनाती के बावजूद कटाव रोकने में अधिकारी असक्षम साबित हुए. स्पर संख्या 6 और 7 के बीच कोसी का पानी ट्रैक से सट गया. जिसके बाद 23 जुलाई को दोपहर तीन बजे रेलवे के विशेष सैलून से समस्तीपुर रेलमंडल के तत्कालीन डीआरएम सुधांशु शर्मा फनगो हॉल्ट स्थित कटाव स्थल पर पहुंचे. लगभग पांच घंटे तक कटावस्थल और पुल संख्या 47 के निरीक्षण के बाद डीआरएम ट्रॉली के माध्यम से कोपड़िया चले आये. फिर देर रात्रि लगभग ग्यारह बजे ट्रॉली के माध्यम से डीआरएम सहित अन्य अधिकारी कटावस्थल और पुल स्थल का निरीक्षण करने पहुंचे. लगभग दो घंटे तक सभी चीजों का जायजा लेने के बाद रात डेढ़ बजे तत्कालीन डीआरएम ने रेलखंड पर ट्रेन के परिचालन पर ब्रेक लगा दिया था. जिसके बाद लगभग दो दिनों तक कटाव स्थल पर खुद से रह कर तत्कालीन डीआरएम सुधांशु शर्मा द्वारा बड़े पैमाने पर कटाव निरोधी कार्य चलाया गया था. लेकिन कुछ दिनों तक चले कार्य के बाद फिर सबकुछ ठंडे बस्ते में चला गया.
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