Loading election data...

जिले में रिल्स चुरा रहे नींद

खासकर सोने से पहले रिल्स देखने की लत नींद पर भारी पड़ रही है

By Prabhat Khabar News Desk | November 24, 2024 5:52 PM

स्क्रीन टाइमिंग बढ़ने से सिर दर्द, नींद की समस्या और आंखों में जलन की आ रही शिकायत सिमरी बख्तियारपुर शॉर्ट वीडियो या फिर रिल्स की दुनिया एक अंधा कुआं है, इसमें दाखिल होने के बाद घड़ी की टिक – टिक भी नहीं सुनायी देती. जी हां, वो कब इंस्टाग्राम रिल्स से होते हुए फेसबुक और स्नेपचैट के रिल्स वर्ल्ड में पहुंच जाते हैं, उन्हें पता भी नहीं चलता. हर जगह स्क्रॉल करने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है. फिर एक झटके में संबंधित व्यक्ति को एहसास होता है कि उसके दो घंटे बीत गये, जबकि डॉक्टरों की माने तो अगर आप रिल्स देखने के आदि हो चुके हैं, तो यह लत आपके स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रही है, खासकर सोने से पहले रिल्स देखने की लत नींद पर भारी पड़ रही है. मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय जो समय इंटरनेट पर बिता रहे है उसमें से एक चौथाई से ज्यादा समय केवल मनोरंजन में बीत रहा है. सोने से पहले देखते है रिल्स मशहूर शायर निदा फाजली का एक शेर हैं- नींद पूरे बिस्तर में नहीं होती, वो पलंग के एक कोने में दाएं या बाएं, किसी मख्सूस तकिए की तोड़-मोड़ में छिपी होती है. जब तकिए और गर्दन में समझौता हो जाता है, तो आदमी चैन से सो जाता है. हालांकि कई बार नींद और तकिए के बीच संघर्ष चलता रहता है. लेकिन, ये कोई अच्छी स्थिति नहीं होती. एक नयी रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 88 प्रतिशत लोग सोने से पहले मोबाइल में वीडियो व रील्स जरूर देखते हैं, जो लोगों की आंखो से नींद आसानी से चुरा लेता है. इसमें हर उम्र के लोग शामिल है. क्या कहते हैं विशेषज्ञ डॉ सुनील कुमार कहते है कि फोन हमारी दिनचर्या को पूरी तरह से प्रभावित कर रहा है. युवा रातों-रात फेमस होना चाहते हैं. यह लत युवाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है. सबसे अधिक नींद व सिर में दर्द की समस्या को लेकर मरीज पहुंच रहे है. डॉक्टरों के मुताबिक आजकल यंग जनरेशन दिन-रात फोन देखने मे बिता रहे हैं. रिल्स बनाने और देखने का परिणाम यह हो रहा है कि बच्चे समाज और परिवार से दूरी बना रहे है. ऐसे बच्चों के माता-पिता, अभिभावक और टीचर को समझाने की जरूरत है. डॉक्टर कहते हैं कि स्क्रीन टाइम बढ़ना कई मायनों में खतरनाक भी हो सकता है. यह लोगों को समाज, दोस्त और परिवार से अलग कर देता है. जितना ज्यादा आप लोगों से दूर रहेंगे, उतना ज्यादा अकेलापन और डिप्रेशन का शिकार होने का रिस्क बढ़ जाता है, स्क्रीन पर ज्यादा वक्त बिताने से आंखें खराब होती है. सोने के वक्त मोबाइल ऑफ कर दे जानकर कहते हैं, सोने और जागने का अपना एक समय होता है. उसके साथ छेड़छाड़ व्यक्ति को बीमारियों का घर बना देती है. ऐसे में क्वालिटी नींद लेने के लिए लोगों को रात 11 बजे से पहले सो जाना चाहिए, स्मार्टफोन और टेक्नोलॉजी को नींद का दुश्मन माना गया है. अगर मुमकिन हो तो सोने के वक्त फोन की ऑफ कर दें. क्या होंगी परेशानी 1. रेटिना पर अटैक 2. ड्राईनेस 3. आइसाइट डैमेज 4. आंखों से पानी गिरना 5. चश्मा लगना 6. पुतलियों का सिकुड़ना 7. टेंपरेरी ब्लाइंडनेस 8. धुंधला दिखना

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version