सहरसा के प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र के कोसी नदी में जलस्तर की वृद्धि के कारण पूर्वी कोसी तटबंध पर बसे ग्रामीण व फरकिया दियारा वासियों को बाढ़ की आशंका सताने लगी है. मालूम हो कि प्रखंड में 11 पंचायत व कुल 43 गांव हैं. कुछ दिनों से कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि से प्रखंड के पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर आवागमन की समस्या भी अब विकराल रूप धारण करने लगी है. लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण अत्यधिक जल वृद्धि होने से बाढ़ का खतरा भले ही कम हो, लेकिन कोसी में पानी बढ़ने व नदी में लाल पानी नजर आने लगा है. इससे प्रतीत होता है कि पानी बढ़ने से बाढ़ एवं बारिश की आशंका से परेशानियां बढ़ सकती है. प्रखंड क्षेत्र के उटेसरा पंचायत के टेंगराहा, पिपरा-बगेवा, साम्हरखुर्द पंचायत के सोथी, भिरखी एवं अलानी पंचायत के रंगिनियां, बेंगहा, लताही, चिड़ैया और चानन पंचायत के शीशवा सहित अन्य तटबंध किनारे बसे फरकिया दियारा वासी बाढ़ से पूर्व ही आवागमन सुलभ के लिए नाव का इंतजाम करने में जुट गये हैं. पानी का जलस्तर बढ़ने से लोगों के मुख पर चिंता की लकीरें छाने लगी है. इन दिनों बारिश के पानी से गांव के आसपास मुख्य सड़क पर पानी व कीचड़ जमा होने से जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को विवश हैं.
ताजपुर घोरमाहा के कोसी नदी के कछार पर व टेंगराहा स्कूल के समीप बम्बू पाइलिंग व जिओ बैग का कार्य किया गया है. महीना भी पूरा नहीं हुआ कि पानी में थोड़ी सी वृद्धि से जिओ बैग गिरने लगा है. संवेदक ने बताया कि किये गये बम्बू पाइलिंग के बांस को स्थानीय ग्रामीण चोरी छिपे उखाड़कर घर ले जा रहे हैं. नवनिर्माण कार्य होने व बांस चोरी छिपे ले जाने के कारण बम्बू पाइलिंग का जिओ बैग पर असर पड़ रहा है. ऐसे में बैग का पानी में गिरना स्वाभाविक है. पगडंडी पर लगातार बढ़ रहे पानी से आवागमन में परेशानी बढ़ गयी है. सलखुआ में हर वर्ष बाढ़ का दंश झेल रहे कोसी तटबंध के अंदर की 16 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित होती है. हालांकि बाढ़ आने की स्थिति में लोगों की सुरक्षा के लिए 8 आश्रय स्थल हैं. बताया जाता है कि प्रखंड में हर साल लगभग 8 पंचायत बाढ़ से प्रभावित रहते हैं एवं बाढ़ का दंश झेल कर विस्थापित होते हैं. जलस्तर बढ़ने से नदी के अंदर से मुख्यालय आने वाले व्यावसायी, बैंक, ब्लॉक व बाजार आने जाने में काफी समस्या होती है. बस एक नाव ही आवागमन का सहारा है. जलस्तर बढ़ने व नदी में लाल पानी व कोसी नदी के विकराल तेज बहाव को देखकर नाव पार करने की हिम्मत नहीं करते. लेकिन तटबंध से एक मात्र सहारा नाव से नदी पार करने के अलावा कोई और दूसरा मार्ग नहीं है. अधिकतर फरकिया दियारा के लोग व व्यवसायी पहलवान घाट, करहरा घाट से ही आते हैं. कई वर्षों से फरकिया व दियारा के अंदर रहने वाले लोगों के द्वारा कोसी नदी में पुल बनाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन व अनशन किया गया. लेकिन आजतक कोई पहल नहीं की जा रही है. पुल निर्माण फरकियावासियों के लिए सपना बनकर रह गया है.
वहीं बाढ़ पूर्व पंचायत के सभी वार्ड सदस्यों से तटबंध के अंदर गुजर बसर कर रहे लोगों से जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आते हैं, उनकी सूची व सारी डिटेल्स मांगी गयी थी. लेकिन हद तक इसमें लूट की योजना बनाकर गरीबों से आपदा राशि 6 हजार दिलाने के नाम और कुछ वार्ड के प्रतिनिधि सदस्य अवैध वसूली कर अपनी जेब मोटी करने में लगे हैं. प्रखंड मुख्यालय से दर्जनों गांव समेत पूर्वी कोसी तटबंध को जोड़ने वाली मुख्य पक्की सड़क गड्ढ़े के साथ जर्जर हो गयी है. इससे राहगीरों में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. जगह-जगह बने गड्ढे में जमा कीचड़ व पानी से साइकिल और मोटरसाइकिल समेत अन्य वाहन को परिचालन में दिक्कत होती है. सलखुआ से सितुआहा गांव होते हुए पूर्वी कोसी तटबंध, उटेसरा, बहुअरवा, बनगामा, गोरिडीह, पिपरा-बगेवा, भेलवा एवं बहुअरवा चौक से पचखुटिया, पचभिरा और बहुअरवा स्कूल बांध से सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल जाने वाली सड़क मार्ग में सड़क की जर्जरता व कीचड़ से कई पंचायत के लोगों को आवाजाही करने में काफी कठिनाई होती है. 11 पंचायतों में 6 पंचायत के लोग इसी सड़क मार्ग समेत अन्य कई गांव को जोड़ती है. वहीं सलखुआ बाजार से माठा मोड़ के रास्ते सिमरी बख्तियारपुर जाने वाली मार्ग में जगह-जगह बने गड्ढ़े व डायवर्सन होकर हजारों लोग गुजरते हैं. इस मार्ग से होकर पुलिस समेत प्रखंड प्रशासन का आना-जाना लगा रहता है. मुख्य सड़क होने के बावजूद सड़क को कोई भी देखने वाला नहीं है.