Saharsa News : कोसी के किसानों का अरहर की खेती की ओर बढ़ा झुकाव

कोसी इलाके में किसान बड़े पैमाने पर अरहर की खेती कर रहे हैं. लेकिन जानकारी के अभाव में अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है. सहरसा कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को उचित सलाह देकर उनकी फसल की उपज बढ़ाने में मदद कर रहा है. इसे अपना कर किसान अधिक लाभ ले सकते हैं.

By Sugam | June 13, 2024 6:04 PM

SaharsaNews : सहरसा. जिले के किसान अब नयी तकनीक के सहारे विभिन्न फसलों की खेती करने लगे हैं. पूर्व की भांति वे सिर्फ धान, गेहूं, मक्के व मूंग की फसल पर ही निर्भर रहना नहीं चाहते. नयी तकनीक से अन्य फसलों की भी अच्छी उपज आ रही है. पूर्व में इस क्षेत्र में गेहूं के बाद एवं धान की फसल लगाने के बीच दलहन मूंग की खेती करते थे. लेकिन अब इस क्षेत्र के किसान अरहर की भी अच्छी खेती कर लाभान्वित हो रहे हैं. इन दिनों किसान अरहर की खेती में जुटे हैं. अब सहरसा समेत कोसी इलाके में अरहर की खेती बड़ी संख्या में किसान करने लगे हैं. लेकिन सही जानकारी नहीं होने के बाद किसानों को भारी नुकसान का भी सामना करना पड़ताहै. इससे किसानों में मायूसी भी रहती है.

बड़े पैमाने पर हो रही अरहर की खेती

सहरसा के कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक व प्रधान कृषि विज्ञान केंद्र डॉ नित्यानंद राय ने कहा कि सहरसा जिले में भी बड़े पैमानों पर अरहर की खेती की जाती है. इस खेती के लिए कुछ बिंदुओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. अरहर की खेती में उर्वरक मुख्य रूप से नाइट्रोजन 20 किलोग्राम, फास्फेट 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की अनुशंसा है. हम नाइट्रोजन को यूरिया के रूप में कन्वर्ट करते हैं तो एक कट्ठे में किसानों को आठ सौ ग्राम यूरिया का प्रयोग करना चाहिए. अरहर की पैदावार बढ़ाने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान देना पड़ताहै. अरहर की रोपाई करने के लिए सबसे पहले खेत की तैयारी पर विशेष ध्यान देना पड़ताहै. बारिश शुरू होने के साथ ही खेत की दो से तीन बार अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए. पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. उसके बाद फिर देसी हल से जुताई करनी चाहिए. इसके साथ ही बुआई के समय खेत में पांच टन प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए. इसे खेत में अच्छे तरीके से मिलाना चाहिए. अरहर की खेती ऊपरी जमीन में की जाती है.

फसल बचाव के लिए कीटनाशक का छिड़काव है जरूरी

सहरसा के कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक व प्रधान कृषि विज्ञान केंद्र डॉ नित्यानंद राय ने कहा कि अरहर की खेती में कई प्रकार के फली छेदक पत्र लपेटक नाम का एक कीट का आक्रमण होता है. इसकी उपज में भारी कमी आती है. इसके नियंत्रण के लिए दो या तीन बार कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए. पहला छिड़कावइंडोस्कार्ब 0.5 मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर करें. फल निकलने की अवस्था में इसका छिड़काव करना चाहिए. दूसरा छिड़काव मोनो क्रोटोफॉस का करना चाहिए, जो 15 दिनों के बाद किया जाता है. इसके अलावा अरहर में उकठा रोग का भी प्रकोप होता है. इसलिए रोग से ग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर फेंक देना चाहिए.

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