Saharsa News : दगा दे रहा है मॉनसून, अब तक सौ एमएम भी नहीं हुई बारिश

मौसम विभाग का पूर्वानुमान अब तक सही साबित नहीं हुआ है. जिले के किसान बारिश की आस देख रहे हैं. सहरसा जिले में 71 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य है. इसमें अबतक 82 प्रतिशत बिचड़े का आच्छादन हुआ है.

By Sugam | June 27, 2024 6:03 PM

SaharsaNews : सहरसा. बादलों के उमड़ने-घुमड़ने के बावजूद मॉनसून की बारिश जिले में नहीं होने से किसान परेशान हैं. जबकि 20 जून को मॉनसून ने जिले में प्रवेश किया है. बारिश नहीं होने से धान के बिचड़े तक सही ढंग से किसान खेतों में डाल नहीं पाये हैं. इससे आगामी धान की फसल पर बुरा असर पड़ सकता है. कुछ किसानों ने पंपसेट के सहारे खेतों में धान का बीज गिराया है. लेकिन वे भी अब धान रोपनी के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं. जबकि बारिश दगा दे रही है. आसमान में बादल तो घुमड़ते हैं लेकिन बारिश नहीं हो पा रही है. बूंदा-बांदी होकर आसमान से बादल छंट जा रहे हैं. किसान बारिश की बाट जोह रहे हैं. जिले में किसान धान की खेती सबसे अधिक करते हैं. जिले की मुख्य फसल धान की खेती ही है. जिले में 71 हजार हेक्टेयर में धान की फसल का लक्ष्य निर्धारित है. पूर्व में जहां जून माह में ही जिले में 25 प्रतिशत से अधिक धान की रोपनी हो जाया करती थी. इस वर्ष इसकी शुरुआत तक नहीं हुई है. ऐसे में धान की रोपनी में विलंब सुनिश्चित है. इसका असर उत्पादन पर भी पड़ सकता है. जबकि किसान पूर्व से ही खेतों की तैयारी कर चुके हैं व बारिश का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन अब तक बारिश ने किसानों को निराश किया है. पिछले वर्ष जहां जून महीने में 300 एमएम से अधिक बारिश हुई थी. वहीं इस वर्ष एक सौ एमएम भी जिले में बारिश नहीं हुई है. इससे किसान परेशान दिख रहे हैं. सिंचाई की अन्य व्यवस्था नहीं रहने से जिले के किसान मॉनसून की बारिश पर निर्भर रहते हैं.नहरें हैं, लेकिन उसमें पानी नहीं छोड़ा गया है. पंपसेट के सहारे धान की खेती किसानों से संभव नहीं है.

अगले तीन दिनों में हो सकती है बारिश

समय से थोड़े विलंब से मॉनसून आने के बावजूद जिले में मॉनसून की बारिश का अभाव है. किसान धान रोपनी के लिए मॉनसून की बारिश का इंतजार रहे हैं. लेकिन बारिश दगा दे रही है. इस बाबत अगवानपुर कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम विभाग के तकनीकी पदाधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि हवा में नमी की मात्रा कम रहने के कारण बारिश नहीं हो पा रही है. अगले दो से तीन दिनों में हवा में नमी रहने की संभावना है. जिससे बारिश संभव हो सकेगी. उन्होंने बताया कि जून महीने में अब तक एक सौ एमएम बारिश भी नहीं हुई है. जबकि पिछले वर्ष इस समय तक 327 एमएम बारिश हुई थी. उन्होंने कहा कि आगामी कुछ दिनों में बारिश की संभावना है. किसान धान रोपने के लिए थोड़ा इंतजार करें.

71 हजार हेक्टेयर में धान रोपनी का है लक्ष्य

सहरसा जिले के किसानों की मुख्य फसल धान है. इसे लेकर किसानों की तैयारी पूर्व से ही रहती है. समय पर जहां खेतों को किसान तैयार करते हैं. वहीं समय पर खेतों में किसान धान के बिचड़े डालते हैं. जबकि समय के अनुसार ही धान की रोपनी भी शुरू करते हैं. लेकिन इस वर्ष अब तक मॉनसून की बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं. वे मानसून की बारिश का इंतजार कर रहे हैं. जिला कृषि पदाधिकारी ज्ञानचंद शर्मा ने बताया कि जिले में 71 हजार हेक्टेयर में धान की फसल का लक्ष्य है. इसकी तैयारी भी किसानों द्वारा की जा रही है. उन्होंने बताया कि 82 प्रतिशत बिचड़े का आच्छादन जिले में किया गया है. कुछ किसान बारिश के अभाव में बिचड़े का आच्छादन नहीं कर पाये हैं. उन्होंने बताया कि मॉनसून की बारिश नहीं होने से जिले में रोपनी का कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है. कुछ जगहों पर किसानों द्वारा थोड़े कुछ जमीन में रोपनी किए जाने की जानकारी मिली है.

धान के बिचड़े लगे हैं सूखने

पिछले लगभग 10 दिनों से एक बूंद भी बारिश नहीं होने से किसानों के हाथ पांव फूल रहे हैं. किसानों द्वारा तैयार किये गये बिचड़े पानी के अभाव में खेतों में अब सूखने की स्थिति में आ रहे हैं. इससे किसानों की परेशानी काफी बढ़ गयी है. जबकि 13 जुलाई तक जिले में निर्धारित धान रोपनी के लक्ष्य के करीब धान की रोपनी हो जानी चाहिए. हालात यह है कि अब तक जिले में पांच प्रतिशत भी धान की रोपनी नहीं हो सकी है. जिन किसानों ने पंपसेटों के सहारे धान की रोपनी की है. उनके चेहरे से रौनक गायब है. उनकी फसल सूखने लगी हैं. अगर बारिश शुरू नहीं होती है, तो जिले में धान की फसल पर बड़ा असर पड़ेगा. किसानों के तैयार धान के बिचड़े की बारिश के अभाव में रोपनी नहीं हो सकपीहै. जबकि मौसम विभाग अभी भी बारिश की संभावना जता रहा है. आज भी जिले में धान की खेती मॉनसून की बारिश पर ही आधारित है एवं किसानों की जीविका का मुख्य आधार भी है. इसके अच्छे पैदावार से पूरे वर्ष भर किसानों के परिवार का गुजर बसर व बच्चों की पढ़ाई होती है.

नहरों में नहीं है पानी

जिले के कुछ भागों में नहरों की सुविधा तो है, लेकिन उसमें पानी नहीं छोड़े जाने से इसका लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. नहरों के मेंटेनेंस नहीं होने से ये किसी काम के नहीं हैं. अगर समय से पूर्व नहरों की मरम्मत सिंचाई विभाग द्वारा सही तरीके से की गयी होती, तो नहरों के सहारे कुछ धान की खेती संभव थी. लेकिन नहरों का जीर्णोद्धार नहीं होने से किसान लाभ से वंचित हैं. जो थोड़ी नहर काम के लायक भी हैं उनमें पानी नहीं छोड़े जाने से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. खेतों की तरह ही नहरें भी सूखी हैं. किसान हलकान व परेशान हैं.

भीषण गर्मी में बिजली दे रही दगा

इस भीषण गर्मी में बिजली विभाग का खेल भी बदस्तूर जारी है. इससे भी धान रोपनी पर असर पड रहा है. सरकार की योजना हर खेत में बिजली के पंपसेट से पानी भी कोसी क्षेत्र में पूरी तरह सफल नहीं हो पायीहै. जिन खेतों के निकट यह सुविधा है भी, तो बिजली कटौती से लाभ नहीं मिल पाता है. दिन में घंटों बिजली गुल रहती है. इससे रोपनी कार्य प्रभावित हो रहा है. खेती के लिए दिन में बिजली उपलब्ध कराने की जरूरत है. इससे किसानों को लाभ मिल सकता है. लेकिन दिन में ही लगातार घंटों बिजली कटौती की जा रही है. इससे किसानों को धान रोपनी में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दिन तो दिन रात में भी घंटों बिजली गायब रहने से लोग रतजगा करने को विवश हैं. सरकार का 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का वादा पूरा नहीं हो रहा है.

बढ़ती गर्मी व ऊमस से हो रही परेशानी

मौसम विभाग द्वारा पिछले लगभग 10 दिनों से मॉनसून की झमाझम बारिश की संभावना व्यक्त की जा रही है. लेकिन सभी संभावनाएं टांय-टांय फिस्स हो रही हैं. कभी आसमान में बादल छा रहे हैं तो कभी तेज धूप व ऊमस से लोग परेशान दिख रहे हैं. मौसम विभाग बुधवार एवं गुरुवार को झमाझम बारिश की संभावना व्यक्त की गयी थी. लेकिन बारिश तो रूठ के बैठी है. इस बीच तेज धूप व ऊमस से जनजीवन प्रभावित हो रहा है. किसानों से लेकर शहरवासी भी इस तेज धूप व उमस से बचने के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन लोगों को तेज गर्मी से राहत नहीं मिल पा रही है. दिनों दिन हालात बदतर हो रहे हैं. गुरुवार को तापमान में वृद्धि रही. बुधवार को जहां तापमान 34 डिग्री सेल्सियस था. वहीं गुरुवार को तापमान बढ़ कर लगभग 37 डिग्री सेल्सियस हो गया. इससे गर्मी व ऊमस से लोगों को कहीं राहत महसूस नहीं हो रही है.

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