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मुरादपुर में 150 वर्षों से मनायी जाती है श्रीकृष्ण जनमाष्टमी

मुरादपुर में 150 वर्षों से मनायी जाती है श्रीकृष्ण जनमाष्टमी

श्रीकृष्ण जनमाष्टमी को लेकर चल रही अंतिम तैयारी, विलुप्त होते नारदी भजन को युवा दे रहे नयी जान,गांव के बड़े बुजुर्गों के द्वारा गाया जाता है सामूहिक नारदी भजन सहरसा . पुरानी लोक परंपरा, सभ्यता, संस्कृति एवं ईश्वर पूजन की विधि विलुप्त होने के कगार पर खड़ी है. हालांकि कुछ युवा इन विलुप्त हो रहे लोकगीत, नृत्य व संगीत को फिर से जान फूंकने में लगे हुए हैं. इससे कोसी का इलाका समृद्ध रहा है. जिले के नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र के मुरादपुर गांव में लोक प्रतिभाओं की कमी नहीं है. जहां श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों में उल्लास दिख रहा है. वहीं आगामी 26, 27 व 28 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति पूजन का आयोजन हो रहा है. इस अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होंगे. नारदी भजन से गूंजेगी महफिल साथ ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उनकी भक्ति, उनके प्रति श्रद्धा व आस्था को अपनी भावनाओं में व्यक्त करने के लिए प्रसिद्ध नारदी भजन का भी आयोजन किया जा रहा है. हालांकि अब नारदी भजन विलुप्त होने के कगार पर है. लेकिन कुछ गांव के युवा इस विलुप्त हो रहे भजन को फिर से नयी जान फूंकने में लगे हुए हैं. मुरादपुर के युवा पिछले 150 साल से गांव में आयोजित हो रहे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर आयोजित होने वाले नारदी भजन की परंपरा को आगे बढ़ाने में जी-जान से जुटे हुए हैं. अभी नारदी भजन के अंतिम वृद्ध पीढ़ी के साथ कदम से कदम मिलाकर जीवित रखने का प्रयास कर रहे हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो गांव में निर्मित मंदिर को एक सौ साल हुआ है. जबकि पूजा को 150 साल से अधिक हुआ है. वहीं नारदी भजन के संदर्भ में उनका कहना है कि नारदी कोई भजन या संगीत नहीं है. बल्कि यह लोक गीत को संगीतबद्ध कर लय में लोग गाते हैं. यह सामूहिक गीत संगीत व नृत्य है. मुरादपुर गांव के अलावे अब किसी अन्य गांव में इसकी झलक नहीं मिलती है. श्रीकृष्ण मेला समिति के अध्यक्ष कन्हैया ठाकुर ने बताया कि आगामी 26 एवं 27 अगस्त को मुंबई के एस कुमार म्यूजिकल ग्रुप द्वारा ऑर्केस्ट्रा का आयोजन किया जायेगा. वहीं आगामी 28 अगस्त को मुंबई के भजन प्रसिद्ध गायक धीरजकांत के द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. वही शांतिपूर्ण मेला के आयोजन के लिए गांव के संत ठाकुर, सुशील झा, मुखिया राहुल झा, जोतिंदर ठाकुर, सत्य प्रकाश, पिंकू ठाकुर, सहजानंद भारद्वाज, गुड्डू ठाकुर, पंकज ठाकुर, सुनील ठाकुर, किशोर गुप्ता, वीर झा, मुरारी ठाकुर, अजय ठाकुर, राजीव ठाकुर, कौशल ठाकुर, मिथुन झा, कारी मिश्र सहित अन्य अपना योगदान मेला को शांतिमय बनाने में दे रहे हैं. जन्माष्टमी को लेकर तैयारी पूरी, युद्ध स्तर पर किया जा रहा प्रतिमाओं का निर्माण सहरसा . मसोमात पोखर कृष्णा नगर वार्ड 37 में जन्माष्टमी को लेकर तैयारी अंतिम चरण में है. 27 अगस्त को भगवान का पूजा होना है. मूर्तिकारों द्वारा प्रतिमाओं का निर्माण युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. वहीं मेला को लेकर भव्य पंडाल का निर्माण भी किया जा रहा है. मंदिर परिसर का रंग-रोगन कर विभिन्न लाइटों से सजाया जा रहा है. जो इन दिनों आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. नित्य दिन शाम होते ही भक्तों का जन सैलाब सांझ देने के लिए उमड़ रहा है. रक्षाबंधन के दिन से ही भजन कीर्तन शुरू कर दिया गया है. जानकारों ने बताया कि कृष्ण भगवान की लीला अपरंपार है. यहां आने वाले हर भक्तों की मुराद पूरी होती है. जिनकी मुरादें पूरी होती है वे भगवान को बांसुरी सहित ब्राह्मण भोजन, रामधुनी व अन्य पुनीत कार्य करते हैं. पिछले कई वर्षों से मूर्तिकार दिनेश कुमार व उनके सहयोगियों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण, राधिका, बलराम, रुक्मणी, देवकी की प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है. यहां प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. मेला कमेटी अध्यक्ष रणजीत स्वर्णकार, कोषाध्यक्ष निर्मल भगत ने संयुक्त रूप से बताया कि मेला की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. मेला को लेकर कमेटी के सभी सदस्य तैयारी में लगे हैं. लगातार कई वर्षों से मसोमात पोखर पर मेला का आयोजन होता आ रहा है. उन्होंने मेला को लेकर प्रशासन व आमजन से सहयोग करने की अपील की. मेला में फुटकर विक्रेता, झूला, मिठाई सहित अन्य ने अपनी दुकान लगाना प्रारंभ कर दिया है. मेला को सफल बनाने में कमेटी के उपाध्यक्ष निक्कू कुमार भगत, अमित कुमार यादव, सचिव मोना भगत, संरक्षक समिति के वार्ड आयुक्त घनश्याम चौधरी, मिथलेश झा, मुंगेरी, बजरंग गुप्ता, नितीन ठाकुर, आशीष कुमार झा, विजय भगत लगे हैं. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव व कृष्ण जयंती व्रत कल, रात 12 बजे के बाद खुलेगा प्रभु श्री कृष्ण का पट सहरसा . ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने बताया कि कृष्णाष्टमी में भक्त दो तरह के व्रत रखते हैं. जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव का पर्व प्रभु कृष्ण की जयंती व्रत. कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त सोमवार को है व मोहरात्रि शक्तिपूजन भी इसी दिन है. मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार सोमवार को सुबह 8.28 के बाद से अष्टमी प्रवेश कर रही हैं. रात 12 बजे अष्टमी युक्त रोहिणी नक्षत्र में प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म होगा. उदय व्यापनी कृष्णाष्ट्मीव्रत व कृष्णपूजन का व्रत जो भक्त रखते हैं वो 27 अगस्त मंगलवार को करेंगे. बुधवार को कृष्णाष्टमी व्रत का पारण होगा. ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को अति प्रिय तुलसी की पत्ती चढ़ाकर, दही, माखन, मिश्री, मोदक का भोग लगाकर मध्यरात्रि में जन्म उत्सव मनायें. भगवान श्री कृष्ण को पंचामृत का भोग जरूर लगायें. पंचामृत मेवा, दूध, दही, घी, गंगाजल एवं शहद से बनाया जाता है. भगवान को पंचामृत का भोग लगाने के बाद प्रसाद स्वरूप पंचामृत का सेवन करें. श्रीमद्भभागवत गीता का पाठ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. उन्होंने कहा कि कुछ भी करने में असमर्थ हो तो ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का 108 बार या उससे अधिक बार जप सभी तरह के कष्ट दूर करता है. कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी काफी फलदायी माना जाता है.

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