मिट्टी हमारी पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
मिट्टी हमारी पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
मंडन भारती कृषि महाविद्यालय में विश्व मृदा दिवस का आयोजन सत्तरकटैया . विश्व मृदा दिवस के अवसर पर मंडन भारती कृषि महाविद्यालय में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. पूरे विश्व भर में हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है.इस दिन का उद्देश्य मृदा (मिट्टी) के महत्व को समझाना और इसके संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना है. मिट्टी हमारी पारिस्थिति की तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल फसलों की उपज बढ़ाने में सहायक है. बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाती है. इस वर्ष का विषय मृदा की देखभाल, मापें, निगरानी करें और प्रबंधन करें था. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ अरुणिमा कुमारी उपस्थित रही. प्राचार्य ने अपने संबोधन में मृदा संरक्षण और इसके सतत उपयोग की महत्ता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मृदा न केवल हमारी कृषि व्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाती है. उन्होंने मृदा की जांच और उसके पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए नियमित निगरानी और वैज्ञानिक प्रबंधन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम के दौरान मृदा विशेषज्ञों ने मृदा संरक्षण के नवीनतम तरीकों और उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर व्याख्यान दिया. महाविद्यालय के छात्रों ने भी मृदा संरक्षण पर पोस्टर एवं भाषण प्रतियोगिता मे बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को सम्मान किया गया. इस आयोजन में मृदा वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार , डॉ आशुतोष कुमार सिंह, डॉ अमित कुमार पांडे और डॉ भरत लाल और बड़ी संख्या में छात्र, किसान और स्थानीय लोग मौजूद रहे.
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