पिछले तीन वर्षों में चार दर्जन से ज्यादा तैयार हुए हैं मक्का का गोदाम, मक्का हब के रूप में तेजी से बदला है सोनवर्षा बाजार साेनवर्षाराज. सहरसा से महेशखूंट जाने वाले मुख्य मार्ग डुमरी पुल पर आवागमन के बाद सोनवर्षा बाजार का मक्का हब के रूप में तेजी से बदलाव हुआ है. वहीं सोनवर्षा बाजार में मक्का खरीद बिक्री के लिए पूरी तरह से विकसित सोनवर्षा बाजार से मधेपुरा व खगड़िया के किसान जुड़े हैं. 3 वर्षों में यहां चार दर्जन से ज्यादा गोदाम तैयार हो गये हैं. यहां खरीदे गये मक्के को सहरसा व मधेपुरा स्टेशन के अलावा मानसी व बदला घाट स्टेशन के द्वारा हरियाणा, गुजरात, हिम्मतनगर, रुद्रपुर, पंजाब, बांग्लादेश व रक्सौल के रास्ते नेपाल के विभिन्न शहरों में लगे कारखाने में सीधे भेजा जाता है. पूर्व में मक्के की खरीद बिक्री में इक्का-दुक्का व्यवसायी जुड़े थे. वर्तमान में चार दर्जन से ज्यादा व्यवसायी सहित दिल्ली व मुजफ्फरपुर के कई व्यवसायी पूरे मई, जून व जुलाई माह यहां कैंप कर धंधा करते हैं. जबकि आधा दर्जन ऐसे व्यापारी भी हैं, जो यहां के मक्का की खरीद कर रेल रैंक पॉइंट से सीधे अन्य देशों को निर्यात करते हैं. सरकार से उम्मीद मक्के से 200 वस्तुओं का निर्माण हो सकता है. इसका पोल्ट्री व मवेशियों के चारे में सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाता है. अगर क्षेत्र में मक्का प्रोसेसिंग का कारखाने की स्थापना हो जाता है तो इस क्षेत्र में नाम के अनुरूप सचमुच सोने की वर्षा होने लगती और कोसी की विभीषिका से त्रस्त इस क्षेत्र के लिए मक्का वरदान साबित होता. अंचल के 15000 हेक्टेयर भूमि के 75 प्रतिशत क्षेत्र में उत्पादित मक्के की खरीद बिक्री तो यहां होती ही है. इसके अतिरिक्त बनमा इटहरी, सलखुआ प्रखंड क्षेत्र सहित खगड़िया जिला के पनसलवा, बेला, पिरनगरा, बिशनपुर, केंजरी, गवास, फनगो हाॅल्ट तथा मधेपुरा जिले के आलमनगर, खुराहन, शाहजहांदपुर, सुखासनी, खाडा बुधमा आदि गांव के किसानों का लाखों क्विंटल मक्के की खरीद बिक्री सोनवर्षा बाजार में होती है. सरकारी स्तर पर खरीदारी की जरूरत जिस तरह किसानों से धान-गेहूं की खरीदारी पैक्स द्वारा की जाती है. इसी तरह अगर किसानों के मक्के की भी खरीदारी पैक्स द्वारा की जाती तो किसानों को इसकी उपज का उचित मूल्य ससमय मिल जाता. 40 से 50 क्विंटल तक होती है खरीद बिक्री व्यवसायी श्याम बिहारी केडिया, शंकर चौधरी, अरुण केडिया, मनमोहन केडिया, सुरेंद्र ठाकुर, फरेश ठाकुर, बुलबुल सिंह आदि बताते हैं कि प्रतिदिन लगभग 1000 से 2000 ट्रेलर अर्थात 40 से 50 हजार क्विंटल मक्के की खरीद बिक्री होती है. जो तीन माह तक पूरे जोर-शोर से होती है. इस खरीद बिक्री के धंधे में हजारों लोगों को मजदूरी मिल जाती है. वहीं कारखाने का निर्माण सरकार द्वारा कर दिया जाता तो सोनवर्षा बाजार के अगल-बगल गांव के लोगों को मजदूरी गांव में ही मिल जाती. मजदूरों के पलायन में कमी हो जाती.
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