प्रभात खबर में छपी खबर का हुआ असर,अब भी शेष बचे मूर्तियों के लिए पेडेस्टल है जरूरी सहरसा. प्रशासनिक उदासीनता के कारण खो रहा संत बाबा कारु खिरहर संग्रहालय अपना अस्तित्व शीर्षक से प्रभात खबर में छपी खबर के बाद संग्रहालय की व्यवस्था में थोड़ा सुधार किया गया है. अब मां तारा व भगवान बुद्ध की प्रतिमा रखने के लिए सागवान की लकडी से बने पेडेस्टल पर प्रतिमाओं को रखा गया है. पूर्व में प्लाई से बने पेडेस्टल सड़कर जर्जर हो गये थे. वहीं वहां अन्य मूर्तियों के लिए भी पेडेस्टल की आवश्यकता है. कुछ प्रतिमाओं को लकड़ी के डंडे के सहारे सुरक्षित रखने का प्रयास किया गया है. जिससे इन कालजयी प्रतिमाओं का संरक्षण संभव नहीं है. मालूम हो कि चौंसठ योगिनी रक्त काली मंदिर स्थित संत बाबा कारु खिरहर संग्रहालय की स्थापना 10 फरवरी 2004 में बिहार सरकार के तत्कालीन कला संस्कृति मंत्री अशोक कुमार सिंह ने बड़े तामझाम के साथ किया था. जबकि उद्घाटन के बीस साल बाद भी संग्रहालय उद्धारक का बांट जोह रहा है. संग्रहालय में रखी 11वीं सदी की पाल कालीन सुर्य, बुद्ध व मां तारा की दुर्लभ कलाकृति धूल खा रही थी. सारे दुर्लभ अभिलेख को दीमक चाट रहा है. लेकिन पुरातत्व विभाग कुंभकर्णी नींद में सो रहा है. उद्घाटन के बाद से आजतक भवन का कोई मेंटेनेंस नहीं किया गया है. संग्रहालय के छत से चट्टा टूट कर गिर रहा है. बारिश के मौसम में दीवारों में सीलन हो जाता है. जिसके कारण दीवारों में लगी कला कृतियां व अभिलेख खराब हो रहे हैं. संग्रहालय की व्यवस्था को देखकर पर्यटकों को निराशा हाथ लगती है. संग्रहालय में दुर्लभ कलाकृति को रखने की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण कई दुर्लभ कलाकृति स्टोर रूम में धूल खा रही है. कलाकृति को रखने के लिए कोई स्टैंड व शीशे का केबिन तक नहीं है. स्टैंड को बांस की लाठी के सहारे लटका कर रखा गया है. संग्रहालय में बिजली आपूर्ति की अपनी कोई व्यवस्था नहीं है. बिजली का कनेक्शन तक नहीं लिया गया है. पूर्व संग्रहालय अध्यक्ष भागलपुर शिव कुमार मिश्र ने कहा कि बाबा कारु खिरहर संग्रहालय में संग्रहित प्रतिमाओं को नये ढंग से प्रदर्शित किया गया है. पुरानी प्लाईवुड का पेडेस्टल सड़ चुका था. सागवान की लकड़ी से दो नया पेडेस्टल बनवाकर प्रदर्शित किया गया है. विभाग द्वारा राशि आवंटित नहीं होने के कारण अन्य मूर्तियों के लिए पेडेस्टल निर्माण नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि पूर्व में संग्रहालय निर्माण का निर्णय लिया गया था. जो अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. जिससे संग्रहालय में संग्रहित अभिलेख व कृतियां का ठीक से रखरखाव नहीं हो रहा है. पहले भी एक भगवान बुद्ध की आकर्षण मूर्ति चोरी हो गयी है. भवन से पानी टपकने के कारण संग्रहित सामग्री खराब हो रहा है. साथ ही वहां सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की जरूरत है. वहां का कार्य कर रहे कर्मी को पिछले तीन माह से वेतन भुगतान तक नहीं किया गया है. ऐसे में ठीक से संरक्षण संभव नहीं है.
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