वैज्ञानिकों की टीम ने विभिन्न प्रजातियों के लगे धान के खेतों का किया निरीक्षण
गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन के लिए किए गए कार्य को बारीकी से देखा एवं प्रसन्नता जतायी.
सहरसा मंडन भारती कृषि महाविद्यालय अगवानपुर में बीज उत्पादन कार्यक्रम के दौरे पर बीज निदेशक सबौर द्वारा गठित वैज्ञानिकों की टीम ने शुक्रवार को पहुंचकर विभिन्न प्रजातियों के लगे हुए धान के खेतों का निरीक्षण किया. उन्होंने बीज उत्पादन फार्म पर जाकर बीजों की गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन के लिए किए गए कार्य को बारीकी से देखा एवं प्रसन्नता जतायी. सह अधिष्ठाता सह प्राचार्य मंडन भारती कृषि महाविद्यालय डॉ अरुणिमा कुमारी के नेतृत्व में केंद्र के प्रभारी पदाधिकारी प्रक्षेत्र डॉ मुकुल कुमार द्वारा निरीक्षण में आए हुए वैज्ञानिकों को बीज उत्पादन में नर्सरी से लेकर परिपक्वता अवस्था तक सारी सावधानियां के बारे में अवगत कराया. इस वर्ष खरीफ धान में सबौर हर्षित प्रजाति के धान का उत्पादन काफी अच्छा हुआ है. यह प्रजाति अग्रिम एवं कम दिनों 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है. जिसके कारण किसान दलहन एवं तिलहन की फसल लगाकर लाभ उठा सकते हैं. जिसका उत्पादन क्षमता 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. साथ ही सबौर श्री प्रजाति जिसका परिपक्वता 140 से 145 दिन है महाविद्यालय के क्षेत्र में लगे हुए हैं. इसकी उत्पादन क्षमता 45 से 48 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. बीज उत्पादन कार्य के लिए समयानुसार सारी प्रक्रियाओं को उचित नर्सरी, खेत की तैयारी, खाद की मात्रा, खरपतवार प्रबंधन, जल प्रबंधन के साथ फसल की कटनी, दौनी एवं भंडारण का भरपूर ध्यान दिया जाता है. जिससे किसानों को उच्च गुणवत्तापूर्ण बीजों को प्रदान किया जा सके. महाविद्यालय प्राचार्य डॉ अरुणिमा कुमारी ने कहा कि बदलते हुए जलवायु में किसान भाईयों को स्थानीय जलवायु, मिट्टी एवं परिस्थितियों के आधार पर उन्नत प्रजाति के बीज का चुनाव करना नितांत आवश्यक हो जाता है. विभिन्न शस्य क्रियाओं के साथ पौधों की दूरी एवं खाद का ख्याल रखना चाहिए. जिससे धन की बाली की लंबाई बड़ा हो एवं अधिक से अधिक उत्पादन हो सके. अंत में वैज्ञानिकों की टीम ने अगवानपुर प्रक्षेत्र के पदाधिकारी डॉ मुकुल कुमार की सराहना की. फोटो – सहरसा 01- निरीक्षण करते वैज्ञानिक
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