पांच साल पहले बना पुल होने लगा जर्जर, अब तक नहीं बना एप्राेच
पांच साल पहले बना पुल होने लगा जर्जर, अब तक नहीं बना एप्राेच
परसाहा में एप्रोच पथ के नहीं रहने से आवागमन में ग्रामीणों को हो रही परेशानी बनमा ईटहरी. प्रखंड के सहुरिया पंचायत के परसाहा गांव में 5 साल पहले लगभग 6 करोड़ की लागत से परसाहा नदी पर बना पुल बेकार साबित हो रहा है. परसाहा के जिस पुल से रामपोखर एवं भेरहा समेत अन्य महादलित टोला समेत दर्जनों गांवों को फायदा पहुंचाने का दावा किया गया था. उसका लाभ उन ग्रामीणों को अब तक नहीं मिला और पुल खुद अप्रोच पथ की बाट जोह रहा है. महज एक अप्रोच पथ के अभाव में 6 करोड़ की लागत से बना ये पुल 5 साल से लोगों के उपयोग में नहीं आ रहा है. पुल के दोनों तरफ एप्रोच पथ नहीं बनाए जाने के कारण कई गांव को मुख्य सड़क से संपर्क नहीं हो पाया है. जिससे ग्रामीणों का आवागमन बाधित है. बताते चलें कि परसाहा नदी पर 2019 में लगभग 6 करोड़ की लागत से इस पुल का निर्माण हुआ था. मद्य निषेध व निबंधन मंत्री रत्नेश सादा के द्वारा पुल का शिलान्यास किया गया था. पुल तैयार हुए 5 साल बीत गया, लेकिन अभी तक अप्रोच नहीं बन पाया. वहीं ग्रामीण सैनी चौधरी, नारायण चौधरी, बिलास चौधरी, कारेलाल चौधरी, प्रमोद साहनी, विष्णुदेव सादा, हरिबोल सादा समेत अन्य विभाग एवं संवेदक पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुल बनाने के बाद विभाग के द्वारा एप्रोच पथ बनाने को लेकर कोई प्रयास नहीं किया गया. जिससे लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. आज भी रामपोखर, भेरहा समेत कई महादलित टोला के ग्रामीणों को सड़क नहीं रहने के कारण नाव के सहारे अंचल कार्यालय एवं बाजार जाना पड़ता है. वहीं लोगों ने कहा कि जब इस पुल का निर्माण हो रहा था तो गांव के सभी लोग बहुत ही खुश थे कि अब नाव का सहारा नहीं लेना पड़ेगा और हमारे गांव तक सभी तरह के वाहन आ पायेंगे. लेकिन यह संभव होते नहीं दिख रहा है. क्योंकि लगभग 5 साल पहले बने पूल अब पूरी तरह से जर्जर होने को है. लेकिन अभी तक एप्रोच पथ नहीं बन पाया, जिसके कारण आज भी हमारे गांव समेत कई महादलित टोला है. जिन्हें जान हथेली पर रख नाव के सहारे आवागमन करना पड़ रहा है. वहीं परसाहा निवासी नरेश यादव ने कहा कि परसाहा से रामपोखर जाने के लिए अभी तक सड़क नहीं बनायी गयी है. जिसके कारण अभी भी लोगों को नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. वहीं उन्होंने कहा कि पुल बनने के बाद से उपयोग में भले ही ना आया हो, लेकिन अब टूटने-फूटने लगा है. शिलापट्ट भी गायब हो चुका है, लेकिन अप्रोच पथ नहीं बन पाया. जिस पुल के निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गये, वह पुल कुछ लाख के खर्च से बनने वाले एप्रोच पथ की बाट जोह रहा है. ऐसे में जरूरी है समय रहते पुल के दोनों किनारों को सड़क से जोड़ा जाए जिससे दर्जनों गांव को इस पुल का लाभ मिल सके.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है