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अतिक्रमण के कारण दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है समस्या

If the situation continues like this, there will be no vacant place in the city

सहरसा. जिला मुख्यालय में बढ़ते अतिक्रमण के कारण दिनों दिन समस्या बढ़ती ही जा रही है. नगर परिषद से नगर निगम बनने के बाद शहर के लोगों में एक उम्मीद जगी थी कि अब शहर पूरी तरह अतिक्रमणमुक्त होकर बेहतर और सुंदर दिखने लगेगी. बेहतर तरीके से शहर को सुसज्जित किया जायेगा. खाली पड़े निगम की सरकारी जमीन पर स्थायी व अस्थायी रूप से जरूरत के अनुसार निर्माण कर बेरोजगारों को रोजगार का अवसर मिलेगा. शहर के लोगों को बेहतर पार्किंग, फुटपाथ सहित चौड़ा सड़क देखने को मिलेगा. लेकिन निगम बनने के बाद से शहर की हालत और भी बद से बदतर हो गयी. निगम की ओर से शहर के विकास और सुंदर दिखने के लिए कोई भी काम नहीं किया गया. यहां तक कि शहर में अवैध रूप से फैले और फैलते जा रहे अतिक्रमण पर किसी तरह का कोई विराम तक नहीं लग सका. निगम बने एक वर्ष से ऊपर हो चुका है. लेकिन लोगों की भीषण और गंभीर समस्या जलजमाव की समस्या तक का निराकरण नहीं हो पाया है. निगम इन एक वर्षों में सिर्फ दोषारोपण पर चल रहा है. वहीं जिला प्रशासन भी इन समस्याओं पर पूरी तरह से मौन बनी हुई है. जबकि शहर के चारों ओर बढ़ते अतिक्रमण को लेकर पूर्व के जिला प्रशासन के द्वारा अपनी भूमिका का प्रदर्शन तो किया जाता रहा. लेकिन वर्तमान जिला प्रशासन ऐसी समस्याओं में अपनी भूमिका दिखाने में फिसड्डी साबित हो रही है. जबकि शहर के मुख्य चौक चौराहों के साथ साथ छोटे छोटे चौक चौराहों और गली मोहल्लों की अधिकांश खाली सरकारी जमीन पर अतिक्रमणकारियों का पूरा कब्जा हो चुका है. जहां छोटे मोटे चाय व पान की गुमटी सहित नाश्ता व खाना का होटल खोल दिया गया है. जहां चाय पान एवं नाश्ता दुकानों की आड़ में दिन भर अवैध नशा करने वाले नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है. जो नशेड़ियों के अलावा गुंडे मवालियों और मनचलों का अड्डा बन चुका है. जिसके कारण ऐसे रास्तों से गुजरने वाली छात्रा, महिला एवं मुहल्ले के सभ्य लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. निगम बनने के बाद भी शहर की हालत बदतर जिला प्रशासन और नगर निगम की उदासीनता के कारण अतिक्रमण के मकड़जाल में फंसते शहर को देख कर नहीं लगता कि इस स्थिति में शहर की सूरत शहर जैसी दिखेगी. आजकल कुछ लोगों की सोच ही यह बन गयी है कि सड़क किनारे की खाली जगह को कैसे कब्जा किया जाये. कुछ लोग तो अपनी गरीबी मिटाने के लिए ऐसे जगह का चुनाव करते हैं, लेकिन कुछ लोग अपनी दबंगई के कारण खाली पड़े जगहों पर दुकाननुमा झोपड़ी बना देते हैं. जिसमें कुछ दुकानों को किसी अन्य के हाथों मासिक किराये पर दे देते हैं तो कुछ दुकानों के लिए स्थल को मोटी रकम में बेच तक देते हैं. अतिक्रमणकारी द्वारा इसका विस्तार अब बचे खाली जगहों पर किया जा रहा है. लेकिन संज्ञान लेने को कोई तैयार नहीं है. शहर की स्थिति दिनों दिन खराब ही होती जा रही है. शहर की सूरत को शहर जैसा बनाने के लिए सर्वप्रथम शहर के लोगों को सजग होना पड़ेगा. जबकि इस शहर में ना तो ठीक से चलने के लिए सड़क है, न पार्किंग की व्यवस्था और न ही पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ की व्यवस्था. शहर की सुंदरता के लिए चौड़ी सड़क व सड़क के किनारे की साफ सफाई से लेकर साजोसज्जा तक नहीं है शहर के इस निगम में. जबकि शहर को सुंदर और बेहतर दिखाने के लिए जिला प्रशासन व नगर निगम को शहर के विकास के लिए सभी अतिक्रमित जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा कर जगह के अनुसार उसका उपयोग करना चाहिए. लेकिन जब तक जिला प्रशासन अतिक्रमण पर पूरी तरह से संज्ञान नहीं लेगी तब तक इस शहर के लोगों को न तो चौड़ी सड़क मिलेगी, न तो वाहनों की पार्किंग की जगह मिलेगी और न ही फुटपाथ और आम लोगों के लिए जगह जगह सुलभ शौचालय की सुविधा मिलेगी. जाम की समस्या का एक कारण अतिक्रमण भी प्रशासनिक उदासीनता के कारण मकड़जाल में फंसते शहर को देखकर नहीं लगता कि इस स्थिति में शहर की सूरत कभी शहर जैसी दिखेगी. आजकल कुछ लोगों की सोच ही बन गयी है कि सड़क किनारे की खाली जगह को कैसे कब्जा किया जाये. शहर के बाजारों की स्थिति यह बन चुकी है कि बाजार करने गए लोगों को अपनी वाहन लगाने तक के लिए जगह नहीं है. बाजार के दुकानदार भी अपनी दुकान के आगे की जगह को मानो रजिस्ट्री करा रखा हो. गलती से जिस दुकान पर खरीददारी कर रहे हैं और जगह के अभाव में किसी दूसरे दुकान के सामने अपनी बाइक भी कोई लगा दे तो वह दुकानदार गाली गलौज से लेकर मारपीट तक उतारू हो जाते हैं. जबकि बाजार के अधिकांश दुकानदारों ने अपनी दुकान के लिए चिन्हित जगह से ज्यादा सड़क में घुसकर अपने धंधे को चमका रहे हैं. दुकान से ज्यादा अतिक्रमण पर उनका धंधा चल रहा है. लेकिन न तो वैसे दुकानदार पर न तो नगर निगम की नजर है और न ही जिला प्रशासन को. ऐसी हालत में लोग सड़क पर चले या अपनी वाहन को पार्क करें समझ से पड़े है. शहर की सूरत को शहर जैसा बनाने के लिए सर्वप्रथम शहर के लोगों को भी सजग होना पड़ेगा. इस बाबत सदर एसडीओ प्रदीप कुमार ने बताया कि अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई की जायेगी. फोटो – सहरसा 15 – वीर कुंवर सिंह चौक के समीप अतिक्रमित दर्जनों दुकान फोटो – सहरसा 16 – सुपर बाजार गेट के बाहर सरकारी जमीन पर मछली बेचने वालों का कब्जा

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