महिषी. पिछले कई दिनों से कोसी कमला व भुतही बलान के जलस्तर में वृद्धि से तटबंध के अंदर स्थित सभी पंचायतों में बाढ़ से तबाही का आलम बना है. प्रखंड क्षेत्र के कुल 19 पंचायतों में ग्यारह पंचायत पूर्ण रूप से व चार आंशिक रूप से कोसी व कमला के बीच स्थित है व प्रतिवर्ष बाढ़ आपदा का दंश झेलना नियति बना है. नेपाल के तराई क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा व बराज से जल निकासी के कारण क्षेत्र में सभी नदियां उफान पर है. ऐसी चर्चा है कि गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण इन नदियों का जल निकासी थम गया है व पानी जस का तस बना है. दर्जनों घर में पानी घुसने से चूल्हा जलाना भी मुश्किल हो गया है. पश्चिमी कोसी तटबंध के अंतिम मुहाने पर स्थित ग्राम पंचायत घोंघेपुर की स्थिति सर्वाधिक दयनीय है. पश्चिमी तटबंध के पचभिंडा, शंकरथुआ से बलान बांध तक जाने वाली मुख्यमंत्री ग्राम सड़क पर पानी के ओवरफ्लो होने से आवागमन ठप पड़ गया है. सोहरवा, बालूबाड़ी, कमलपुर सहित अन्य गांव का सड़क संपर्क टूट जाने से लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. धान का शत प्रतिशत खेती पानी में डूब जाने से किसानों में हाहाकार की स्थिति बनी है. पशुपालकों का पशुपालन जी का जंजाल बन गया है. लोग पानी से जलकुंभी निकाल पशु चारा का उपयोग कर रहे हैं. स्थानीय सरपंच विंदेश्वरी पासवान, पूर्व पैक्स अध्यक्ष अलीम उद्दीन, वार्ड सदस्य सुरेंद्र पासवान, सैनी साह, अल्लाह मुखिया, अमरजीत पासवान, हरदेव सादा, हरेराम ठाकुर, शिव नारायण ठाकुर, लाल मोहर पासवान सहित अन्य ने जिलाधिकारी से स्वयं क्षेत्र में जलजमाव की स्थिति व क्षति का अवलोकन करने की मांग की है. लोगों ने बताया कि इस वर्ष अंचल प्रशासन द्वारा ना तो प्लास्टिक एवं ना ही जीआर राशि वितरण में दिलचस्पी दिखायी जा रही है. फोटो – सहरसा 02- पानी से घिरा पचभिंडा गांव फोटो – सहरसा 03- पानी में घर से निकलती महिला
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