यात्रियों के लिए न हीं शेड न पेयजल की है व्यवस्था

यात्रियों के लिए न हीं शेड न पेयजल की है व्यवस्था

By Prabhat Khabar News Desk | May 18, 2024 11:25 PM

सुपर बाजार स्थित सरकारी बस स्टैंड वर्षो से है उपेक्षितराशि के अभाव में आज भी है निर्माण अधूरा.

सहरसा.सुपर बाजार स्थित सरकारी बस स्टैंड वर्षो से उपेक्षित है. गंगजला स्थित रेलवे की जमीन पर स्थित प्राइवेट बस स्टैंड को सरकारी बस स्टैंड में शिफ्ट करने की योजना धरी की धरी रह गयी. करोड़ों रुपये की लागत से बस स्टैंड को पुनर्निर्माण की योजना राशि के अभाव में आधा अधूरा है. सरकारी बस स्टैंड बन जाने से शहर में जाम की समस्या से काफी निजात मिल जाती, लेकिन इस पर ना तो नगर निगम ध्यान दे रहा है. ना जन प्रतिनिधियों की नजर पड़ती है. सरकारी बस स्टैंड चालू हो जाने से गंगजला चौक, थाना चौक होकर गुजरने वाली बस से होने वाली समस्या से निजात मिल जाती. सुपर बाजार से हवाई अड्डा होते पटना-सुपौल की ओर बस जाती. वहीं शिवपुरी सिमराहा बाईपास होते मधेपुरा-पूर्णिया की ओर बस शहर से अलग होकर जाती. जिससे शहर में जाम की समस्या से लोग मुक्त हो जाते. जबकि जिले में एक भी सुसज्जित आधुनिक बस स्टैंड नहीं है. लोगों को उम्मीद थी कि सुपर बाजार स्थित बस स्टैंड बन जाने से यात्रियों को काफी सहूलियत होगी. सुपर बाजार व गंगजला से निजी व सरकारी बसों का परिचालन किया जा रहा है. ऐसे में गंगजला बस स्टैंड में उतरने वाले यात्रियों को दूसरे गंतव्य तक जाने के लिए सुपर बाजार स्थित बस स्टैंड आना पड़ता है. जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

सरकारी बस डिपो में सुविधाओं का है अभाव

सुपर बाजार स्थित सरकारी बस डिपो अपनी बदहाली बदहाली पर आंसू बह रहा है. सरकारी बस स्टैंड में यात्रियों की सुविधाओं का घोर अभाव है. यात्रियों को बैठने या बस का इंतजार करने के लिए प्रतीक्षालय तक नहीं है. लोग धूप, बारिश में होटल या पेड़ की छांव में खड़े होकर बस का इंतजार करते हैं. यात्रियों को पीने के लिए पेयजल व शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है. लोग बाजार से बोतल बंद पानी खरीद कर पीते हैं. रात्रि में यात्रियों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है. जिसके कारण बस स्टैंड के आसपास उच्चकों का जमावड़ा लगा रहता है. बस स्टैंड से रोजाना पटना, कुशेश्वर स्थान, वीरपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर के लिए गाड़ी खुलती है. सैकड़ो यात्री प्रतिदिन सफर करते हैं. लेकिन यात्रियों की सुविधा का घोर अभाव रहने के कारण लोग निजी बसों से सफर करना ज्यादा पसंद करते हैं.

उपेक्षा का झेल रहा दंश

वर्षों पुराना सरकारी बस स्टैंड प्रशासनिक उदासीनता के कारण उपेक्षा का दंश झेल रहा है. वर्षों पुराना भवन जर्जर हो गया है. एक ही कमरे में बस स्टैंड का कार्यालय, वर्कशॉप, बुकिंग काउंटर चल रहा है. कार्यालय के कर्मी ऑफिशियल काम के अलावे बस की मरम्मति का भी काम इसी रूम में करते हैं. कार्यालय में बस का पार्ट पुर्जा, टायर, ट्यूब बिखरा हुआ रहता है. बस स्टैंड में पद स्थापित कर्मी के अलावा बसों के ड्राइवर व कर्मी के रहने की कोई व्यवस्था नहीं है. डिपो के जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने अवैध कब्जा कर रखा है. इस संबंध में हाल में ही सेवानिवृत हुए मुख्य कार्यपालक अभियंता अनिल शर्मा ने बताया कि टेंडर के अनुसार कार्य कर दिया गया है. प्रवेश व निकासी द्वार पर निर्माण किया जाना है. जिसका मामला कोर्ट में चल रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version