नर्क कहीं और नहीं है, शत्रुता में जीना ही नर्क है : अतुल कृष्ण
शत्रुता से शत्रुता समाप्त नहीं होती और क्रोध से क्रोध समाप्त नहीं होता है
शिव महापुराण के दूसरे दिन कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ सिमरी बख्तियारपुर नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत शर्मा चौक के निकट स्थित ठाकुरबाड़ी मंदिर परिसर में नवनिर्मित पार्वती मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में आयोजित छह दिवसीय शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान अयोध्या से आये कथा वाचक अतुल कृष्ण महाराज के भक्ति भजनों पर श्रद्धालु देर शाम तक झूमते रहे. कथा के दूसरे दिन कथा वाचक अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के अनुसार इस संसार में बैर से बैर कभी वह शांत नहीं होता है, अबैर से बैर शांत होता. उन्होंने कहा कि शत्रुता से शत्रुता समाप्त नहीं होती और क्रोध से क्रोध समाप्त नहीं होता है. यह सब जितना ही हमारे अंदर बढ़ता जाता है. उतना ही हम अपने हाथों अपने चारों तरफ नर्क निर्मित करते चले जाते हैं.उन्होंने कहा कि नर्क कहीं और नहीं है, शत्रुता में जीना ही नर्क है.हम जितनी बड़ी शत्रुता अपने चारों ओर बनाते हैं हमारा नर्क उतना ही बड़ा हो जाता है. इसके विपरीत हम जितनी बड़ी मित्रता अपने चारों ओर बनाते हैं उतना ही बड़ा स्वर्ग हमारे आसपास निर्मित हो जाता है. दरअसल स्वर्ग और नर्क कोई भौगोलिक स्थानों का नाम नहीं है या मनोदशा है मित्रता के भाव और मित्रों के बीच जीने का नाम ही स्वर्ग है और शत्रुता का भाव शत्रुओं के बीच जीने का नाम नर्क है. उन्होंने कहा कि हम खुद भी दूसरों से बैर भाव रखते है. हम जीवन ऐसे जीते हैं जैसे हमें यहां सदा ही रहना है और हम यहीं रम जाते हैं. लेकिन जो यह समझ लेता है कि एक दिन हम सब संसार में नहीं रहेंगे. शास्त्री जी ने कहा कि जीवन का सार श्री गुरु ग्रंथ साहिब में इस प्रकार से वर्णित है कि जिन्हें प्रेम कियो, तिन ही प्रभु पायो. इसलिए सदा केवल प्रेम ही करो इसी में हमारा कल्याण संभव है. मौके पर कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ प्रमोद भगत, नमिता कुमारी, विपिन यादव, बिजेंद्र भगत, नंदकिशोर पोद्दार, रतन भगत, अजय चौरसिया सहित अन्य मौजूद रहे.
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