आज दीपों की रोशनी से जगमग होगा वातावरण
चप्पे-चप्पे पर पुलिसिया व्यवस्था दुरुस्त रहने के बावजूद लोगों को दिन भर जाम से परेशानी होती रही. सजावट की दुकान, जड़ी-बूटी एवं मिठाई की दुकानों में भीड़ बनी रही.
दीपावली आज, उत्साह चरम पर मिठाइयों के अलावा गिफ्ट स्टोर की भी रही चांदी दुकानों पर लगी रही लोगों की भीड़ सहरसा दिवाली को लेकर पूरे जिले में चहल पहल चरम पर है. धनतेरस के दूसरे दिन बुधवार को भी बाजार पूरी तरह गर्म रहा. लोग मूर्ति, हुक्का-पाती, दीप, बाती, तेल व पटाखों की खरीददारी करने में लगे रहे. चप्पे-चप्पे पर पुलिसिया व्यवस्था दुरुस्त रहने के बावजूद लोगों को दिन भर जाम से परेशानी होती रही. सजावट की दुकान, जड़ी-बूटी एवं मिठाई की दुकानों में भीड़ बनी रही. पटाखे की दुकानों पर भी लोग जमा थे. बड़े, बच्चे सहित महिलाएं अपने पसंद के पटाखे खरीदते नजर आये. सबसे ज्यादा फूलझड़ी, चक्कर व अनार बिके. मिठाई की बढ़ती रही मिठास दीपावली को लेकर सबसे ज्यादा व्यस्त मिठाई की दुकान वाले दिख रहे हैं. सभी अपनी-अपनी पंसद और जेब के अनुसार मिठाई की खरीदारी में लगे हैं. लेकिन इनके बीच दीपावली का पारंपरिक मिष्ठान्न लड्डू की बिक्री चरम पर रही. लोगों द्वारा लड्डू, कलाकंद, काला जामुन, गाजा सहित खाजा की बिक्री चरम पर रही. बम की आवाज धीमी रही व्यापारियों ने बड़े उत्साह से पिछले साल की तुलना में दुगुनी पूंजी लगा कर पटाखे का भरपूर स्टॉक जमा किया था. लेकिन इस बार पटाखे से दूर रह कर अधिकांश आदमियों ने इससे परहेज ही किया. आसमान चढ़ी कीमत व पटाखों से दूर होते लोगों ने इसकी खरीदारी पर काफी हद तक विराम लगा कर उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया फिर भी बाल व किशोर उम्र के बच्चे पटाखे की दुकान पर आतिशबाजी की तैयारी में लगे दिखे. इन दुकानों पर रॉकेट और बमों की बिक्री नहीं के बराबर हुई. जबकि बच्चों ने रोशनी करने वाले पटाखे खरीदे. गिफ्ट का अब बढ़ने लगा है चलन पहले सहरसा में दीपावली के मौके पर उपहार के लेन देन का कोई खास प्रचलन नहीं था, लेकिन बड़े शहरों की तरह व टीवी शो को देख कई जगह उपहार खरीदते लोग देखे गये. लोगों ने बताया कि पुरानी परंपरा मिटती जा रही है और उसकी जगह नये चलन लेते जा रहे है. अपने प्रिय के लिए उपहार में मिठाई का डिब्बा देना ही दीपावली में सबसे उचित है. इसके अलावे विभिन्न कंपनियों के चॉकलेट गिफ्ट पैक व गुलदस्ता की बिक्री का भी जोर रहा. महक उठेगा घर भी दीपावली पर दुकानों को फूलों से सजाने की परंपरा तो वर्षों से चली आ रही है, लेकिन नये जमाने के इस दौर में अब घरों को भी फूलों से सजाया जाने लगा है. जिसके कारण दीपावली में भी फूलों की मांग व ब्रिकी बढ़ गयी है. बुधवार की शाम से ही लोगों ने फूल वालों के यहां बुकिंग करना शुरु कर दिया है. गुरूवार की सुबह लोगों को ताजा फूल मुहैया कराने का वादा विक्रेताओं द्वारा किया जा रहा है. इसके अलावा दुकानदारों द्वारा केले के थम्ब से भी दुकानों को सजाने की तैयारी की जा रही है. केले का थम्ब बुधवार की रात से शहर में आने लगा था. ………………………………………………………………………………….. बाजार में खरीददारी के लिए उमड़ी भीड़, पर्व का उल्लास चरम पर सहरसा सुख, शांति, समृद्धि एवं पर्यावरण संरक्षण का पर्व दीपावली गुरुवार को मनाया जायेगा. जिसको लेकर दुकानों से लेकर घरों की साफ-सफाई की जा रही है. दीपावली का त्योहार आमतौर पर पांच दिनों तक मनाया जाता है. जिसमें धनतेरस, दीपावली, भैया दूज, गोवर्धन पूजा, चित्रगुप्त पूजा लगातार मनाया जाता है. प्रकाश का पर्व दीपावली में इस बार भी लोग स्थानीय निर्मित सामग्री खरीद रहे हैं. दीपावली को लेकर पूरे शहरी क्षेत्र सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए साफ सफाई, घरों में रंग रोगन का कार्य लोगों ने संपन्न कर लिया है. घरों को विभिन्न प्रकार के झालरों एवं बल्बों से सजाया जा रहा है. लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए लोग अपने अपने तरह से तैयारी कर रहे हैं. इसमें किसी प्रकार की कमी ना रहे, इसका खास ध्यान रख रहे हैं. पूर्व की तरह दीपावली मनाने की परंपरा आज भी जिले में पूरी तरह जिंदा है. लोग घरों में कैंडल व हुक्का पाती जलाते हैं. एक दूसरे के घर जाकर बड़ों से आर्शीवाद प्राप्त करते हैं. आतिशबाजी के समय परिजन खास ख्याल रखें दीपावली पर्व पर सभी लोग खूब आतिशबाजी करते हैं. वहीं जमकर तेज आवाज वाले पटाखे छोड़े जाते हैं. पटाखो की तेज आवाज बच्चे, बूढ़े एवं बीमार लोगों के कान के लिए काफी खतरनाक माना जाता है. तेज आवाज लोगों को खुशियों की जगह अस्पताल तक पहुंंचा देती है. ऐसे हालात में बच्चों को सावधानी पूर्वक पटाखे चलाने को नजरअंदाज ना करेंं. छोटे बच्चों के आतिशबाजी के समय परिजन खास ख्याल रखें. जिससे खुशियां गम में ना बदले एवं तेज पटाखों से बच्चों को दूर रखें. आतिशबाजी के दौरान धुएं से बचें बाजार में बिक रहे तेज आवाज वाले पटाखे से पर्यावरण को तो नुकसान पहुंंचता ही है. इसके साथ यह मानव जीवन के लिए काफी घातक है. पटाखो की तेज आवाज से लोगों की सुनने की शक्ति, बहरेपन, अनिंद्रा, सिर दर्द, चिड़चिड़ेपन की समस्या होती है. वहीं बारूद के धुएं से एलर्जी, सर्दी जुकाम, आखों की बिमारी बढती है. धुएं के कारण लोगों की आखों में लालीपन आ जाता है. कभी-कभी जहरीली रसायन के कारण लोग अंधे भी हो जाते हैं. ऐसे में सुरक्षित दीपावली मनाने के लिए लोगों को रसायनिक एवं अप्राकृतिक चीजों को छोड़ प्राकृतिक तथा ग्रीन टच दीपावली मनाने की जरूरत है.
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