बिहार में IAS-IPS के गढ़ बनगांव में ग्रामीणों ने खोली दो लाइब्रेरी, बच्चों को मिल रही मुफ्त सुविधा

बिहार के आईएएस और आईपीएस अफसरों की फैक्ट्री कहे जाने वाले बनगांव से निकलने वाले अफसरों की संख्या पिछले कुछ सालों में कम हो गई है, जिसके बाद गांव वालों ने मिलकर यहां दो निशुल्क लाइब्रेरी खोली हैं

By Anand Shekhar | July 2, 2024 12:05 AM

Library In Bihar Village: आईएएस आईपीएस की फैक्ट्री के जाने वाले बिहार के एक गांव बनगांव के ग्रामीणों ने एक अच्छी पहल शुरू की है. सरकारी नौकरी करना हर किसी का सपना होता है. इसको लेकर एक अलग ही जुनून देखा जाता है. हर कोई आईएएस आईपीएस या फिर डॉक्टर इंजीनियर बनने की चाहत रखते हैं. लेकिन यह गांव हमेशा से चर्चा में रहा है. इस गांव को आईएएस आईपीएस का फैक्ट्री भी कहा जाता है.

ग्रामीणों ने मिलकर शुरू की लाइब्रेरी

इस गांव के एक, दो नहीं बल्कि कई गली मोहल्ले से आईएएस, आईपीएस के साथ बड़े अधिकारी निकलकर देशभर में अपनी सेवा दे रहे हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से इसमें काफी गिरावट देखी गयी. संसाधनों की कमी से यहां के बच्चे ठीक से पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे. जिसको देखते हुए ग्रामीणों ने एकजुटता दिखाई एवं इस इलाके में दो पुस्तकालय खोलने का निर्णय लिया. ग्रामीणों का यह प्रयास पूरी तरह सफल साबित हुआ.

एक दिन होता है टेस्ट

पुस्तकालय की देखरेख कर रहे ग्रामीण आनंद झा बताते हैं कि ग्रामीणों के सहयोग से दो पुस्तकालय का निर्माण करवाया गया है. वहीं इसमें पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं का सप्ताह में एक दिन टेस्ट भी लिया जाता है. इस पुस्तकालय में टाइपिंग क्लास से लेकर तमाम सुविधाएं मुहैया कराई गयी है. जिससे किसी भी छात्र-छात्राओं को पढ़ाई करने में कोई बाधा न पहुंचे. दोनों पुस्तकालय में निशुल्क सेवा दिया जा रहा है.

किताबों से जुड़ रहे बच्चे

ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालय खोलने के लिए शुरू किया गया अभियान रंग लाने लगा है. इनके जरिए गांवों में रहने वाले छात्र-छात्राएं खुद को किताबों से जोड़ रहे हैं. पुस्तकालय में किताबों के साथ-साथ कंप्यूटर व इंटरनेट की सुविधा भी उपलब्ध कराई गयी है. गांव-देहात के छात्र-छात्राओं को गांव में ही पढ़ाई का बेहतर माहौल व पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध कराया गया है. ग्रामीणों के आपसी सहयोग से शुरू किए अभियान का बेहतर नतीजा सामने आने लगा है. गांव में दो पुस्तकालय तैयार हो चुका है. रोजाना इनमें सैकड़ों छात्र-छात्राएं ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं.

दे रहे किताबों का दान

गांव में शुरू किए गए पुस्तकालयों में ग्रामीण भी हजारों रुपये की किताबें दान दे रहे हैं. गांव के बाहर नौकरी व कारोबार करने वाले कई लोगों ने भी अपने स्तर से मदद देकर पुस्तकालयों को बेहतर बनाने में सहयोग किया है. इन पुस्तकालयों में 10 हजार से अधिक किताबें प्राप्त हो चुकी है.

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प्रतियोगिता व परीक्षा की हो रही तैयारी

पुस्तकालय में कंप्यूटर, इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है. विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकों के साथ छोटे बच्चों के लिए किस्सा-कहानियों की किताबें भी रखी गयी हैं. बिजली, पंखा, इनवर्टर की भी व्यवस्था है. छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी के लिए भी यहां पढ़ाई करने आते हैं व नि:शुल्क इस सेवा का लाभ उठाते हैं

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