Loading election data...

साहित्यकार रमेश कुंतल मेघ के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर, समालोचक को किया गया याद

Bihar News: वरिष्ठ साहित्यकार व समालोचक डॉ रमेश कुंतल मेघ का पंचकुला में निधन हुआ. इसके बाद साहित्य जगत में शोक की लहर है. बिहार में साहित्यकारों ने आलोचक को याद किया है. साथ ही उनके निधन पर दुख जताया है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 2, 2023 11:53 AM

Bihar News: वरिष्ठ साहित्यकार व समालोचक डॉ रमेश कुंतल मेघ का पंचकुला में निधन हो गया. 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. 2017 में उन्हें विश्व मिथक सरित्सागर के लिए उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान मिला था. वह जनवादी लेखक के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. मिथक और भारतीय, पश्चिमी सौंदर्य शास्त्र के वह विशेषज्ञ थे. तुलसी आधुनिक वातायन से, मिथक और स्वप्न, अथातो सौंदर्य जिज्ञासा आदि उनकी महत्वपूर्ण कृतियां हैं.

साहित्य के सौंदर्यशास्त्र पर विशिष्ट कार्य : उषा किरण

वरिष्ठ साहित्यकार उषा किरण खान ने डॉ रमेश कुंतन मेघ को विशिष्ठ विद्वान बताया. उनके अनुसार साहित्य के विद्वानों के बीच भी उनकी तारीफ होती थी. साहित्य के सौंदर्यशास्त्र में उनके जैसा कम लोगों ने ही काम किया है. वह आलोचनात्मक और विवेचनात्मक साहित्य के उच्च कोटी साहित्यकार थे. उनके काम के अनुसार उनको और ख्याति मिलनी चाहिए थी.

Also Read: बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा का आंसर- की जारी, सात सितंबर तक दर्ज करा सकते है आपत्ति, यहां से सीधे करें चेक
डॉ कुंतल का लेखन समाज व मनुष्यता के लिए : मदन

वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने कहा कि डॉ मेघ के निधन की खबर सुनकर उदास हूं. वो जीवन भर लेखन वचिंतन में मार्क्सवाद के प्रति प्रतिबद्ध रहे. उनके सोचने का नजरिया व्यापक था. शुरू में जटिल भाषा लिखतेथे, लेकिन रचनाओं की अभिव्यक्ति व विचारों की अनुभूति के कारण उनकी जटिल भाषा पाठकों के लिए बाधक नहीं बनी. उनका लेखन समाज व मनुष्यता के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है

Also Read: बिहार में उमस की स्थिति बरकरार, 48 घंटे तक हल्की बारिश के आसार, जानें आपके शहर में कब होगी झमाझम बारिश
डॉ कुंतल मेघ ने विश्वभर में बिखरे मिथकों का किया संचयन : विनय कुमार

वरिष्ठ कवि डॉ विनय कुमार ने रमेश कुंतल मेघ को एक अद्भुत साधक की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि वह समीक्षा और आलोचना की रूटीन प्राध्यापकीय दुनिया से बाहर गये और साहित्य के लिए अनिवार्य सैद्धांतिकी में खुद को झोंका. सौंदर्यशास्त्र का मनुष्य की देह भाषा से जुड़ा काम कृती व्यक्तित्वों के लिए कच्चे माल की तरह है. अवकाश प्राप्ति के बाद उन्होंने विश्व भर में बिखरेमिथकों का अध्ययन और संचयन किया. ‘विश्व मिथक सरित्सागर’ एक भारी-भरकम काम है, न सिर्फ सामग्री के हिसाब से बल्कि पृष्ठ संख्या के हिसाब से भी. यह किताब मिथकों को समझने की एक विश्व दृष्टि देती है.

आरावासियों का प्रेम देख आंखें हो गयीं थीं नम उनके निधन से मन व्यथित है : डॉ नीरज

जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष डॉ नीरज सिंह ने डॉ रमेश कुंतल से जुड़ी स्मृतियों को साझा करते हुए बताया कि उनके निधन से मन बहुत व्यथित है. डॉ मेघ जनवादी लेखक संघ की स्थापना के पूर्व एक बार एक – दो दिनों के लिए आरा आयेथे. महादेवा स्थित शत्रुंजय संगीत विद्यालय के हाल में डॉ मेघ के सम्मान में एक बड़ी गोष्ठी हुई थी, जिसमें काफी बड़ी संख्या में उनके पूर्व सहकर्मी, छात्र और नगर के साहित्यकार उपस्थित हुए थे. अपने प्रति आरावासियों काप्रेम देखकर वे बहुत ही भावुक हो गए थे और अपने संबोधन के आरंभ में देर तक अपनी नम आंखें पोछते रहे थे.

Also Read: Viral Video: बिहार में कोसी नदी को दूध और लड्डू का भोग, जानिए बाढ़ के प्रकोप के बीच क्या गुहार लगा रहे ग्रामीण
हिंदी आलोचना को नया विस्तार देने व हिंदी का विशिष्ट विरल साधक हमने खो दिया: डॉ रमेश

प्रगितशील लेखक संघ के अध्यक्ष डॉ रमेश ऋतंभर के अनुसार आधुनिक हिंदी साहित्य में आलोचना विधाव साहित्यशास्त्र के क्षेत्र में डॉ रमेश कुंतल मेघ ने अपने सौंदर्यशास्त्रीय व अन्तरानुशासन विवेचन के कारण अलग पहचान बनायी. विशेषकर मध्यकालीन एवं छायावादीयुगीन (प्रसाद) साहित्य के सौंदर्यशास्त्रीय विश्लेषण में उनका विशेष योगदान है. उन्होंनेहिंदी आलोचना को नया विस्तार दिया. उनके आकस्मिक निधन से हमने हिन्दी का एक विशिष्ट विरल साधक व्यक्तित्व को खो दिया है.

Next Article

Exit mobile version