बिहार के 1434 सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों पर लापरवाही बरतने के लिए शिक्षा विभाग ने कार्रवाई की है. केके पाठक (kk pathak) के निर्देश पर विभाग ने कक्षा एक से आठवीं तक के इन प्राचार्यों का वेतन बंद कर दिया है. इसके साथ ही कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है. जिन प्राचार्यों का वेतन रोका गया है उन्होंने शिक्षा विभाग को लगातार तीन महीने नवंबर 2023 से जनवरी 2024 तक मध्याह्न भोजन बंटने की सूचना नहीं दी थी. इस संबंध में वेतन रोकने का आदेश माध्याह्न भोजन योजना के निदेशक मिथिलेश मिश्र द्वारा जारी किया गया है.
कारण बताओ नोटिस भी जारी
मिथिलेश मिश्र द्वारा जारी निर्देश में जिला शिक्षा पदाधिकारियों से कहा गया है कि वेतन रोकने के साथ-साथ इन लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए और पूछा जाए कि मिड डे मील को लेकर बरती गई लापरवाही की वजह से क्यों ने उनके एक माह का वेतन काट कर कोषागार में जमा कर दिया जाए.
ऑटोमैटेड मॉनीटरिंग सिस्टम की समीक्षा में सामने आयी लापरवाही
मध्याह्न भोजन निदेशक मिश्र ने बताया कि इन प्रधानाध्यापकों ने एक नवंबर 2023 से 31 जनवरी 2024 के दौरान निर्धारित प्रक्रिया के तहत स्कूलों में मध्याह्न भोजन से जुड़ी किसी तरह की जानकारी नहीं दी. साथ ही प्रतिवेदन भी नहीं दिया. प्रधानाध्यापकों की लापरवाही की यह जानकारी मोबाइल फोन से ऑटोमैटेड मॉनीटरिंग सिस्टम की समीक्षा में सामने आयी है. फिलहाल निदेशक ने लापरवाह प्रधानाध्यापकों एवं प्रभारी प्रधानाध्यापकों की सूची भेज दी है. ताकि मामले में आगे की कार्रवाई की जा सके.
इन जिलों के हेडमास्टर का कटा वेतन
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक लगातार तीन माह तक मध्याह्न भोजन वितरण की जानकारी साझा न करने वाले सर्वाधिक प्रधानाध्याक मसलन सिवान के 175, मधुबनी के 112 स्कूलों, दरभंगा के 78, पूर्वी चंपारण के 77, बक्सर के 76, औरंगाबाद के 69, किशनगंज के 67, लखीसराय के 66, सीतामढ़ी और पटना के 61-61 हैं. शेष जिलों में लापरवाह प्रधानाध्यापकों की संख्या इससे कम है. हालांकि ऐसा जिला एक भी नहीं है, जहां इस तरह की लापरवाही न हो.
70719 स्कूलों में मध्याह्न भोजन बांटा जाता
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक राज्य के 70719 स्कूलों में मध्याह्न भोजन बांटा जाता है. इसमें से नवंबर 2023 से जनवरी 2024 तक 68346 स्कूलों में निर्धारित सिस्टम के तहत मध्याह्न भोजन योजना बंटने की सूचना मिल थी. शेष 1434 स्कूलों से किसी तरह की सूचना निदेशालय को नहीं मिल सकी. विभाग ने सख्त पड़ताल करने के बाद इस मामले में यह सख्त कदम उठाया है.
Also Read : शिक्षा विभाग की बैठक में फिर नहीं पहुंचे कुलपति, इंतजार करते रह गए अधिकारी, जानें पूरा मामला