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पटना में दोगुनी हुई जन औषधि केंद्र में बिक्री, ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं के दाम बढ़ने का दिखने लगा असर

महंगी होती ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं के कारण प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की दवाओं की बिक्री बढ़ गयी है. बीते डेढ़ साल में पटना जिले में जन औषधि केंद्रों के कारोबार में 90% से भी अधिक का इजाफा हुआ है.

आनंद तिवारी, पटना. महंगी होती ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं के कारण प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की दवाओं की बिक्री बढ़ गयी है. बीते डेढ़ साल में पटना जिले में जन औषधि केंद्रों के कारोबार में 90% से भी अधिक का इजाफा हुआ है. पीएम जन औषधि एवं औषधि नियंत्रण प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार जिले में हर माह अब 95 लाख का कारोबार हो रहा है, जबकि डेढ़ साल पहले यह आंकड़ा करीब 50 लाख रुपये से भी कम था. वहीं जानकारों की मानें, तो पिछले एक साल में ब्रांडेड दवाओं की कीमतों में तीन से चार बार इजाफा किया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि सस्ती होने के बावजूद जेनेरिक दवाओं के असर में कोई अंतर नहीं होता.

पटना जिले में हैं 42 औषधि केंद्र

पटना जिले में 42 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र हैं. इनमें बड़े केंद्र द्वारा आठ से 10 लाख की दवाएं हर माह मंगायी जा रही हैं. इन केंद्रों पर एक माह में ही 80% तक स्टॉक खत्म हो जाता है, जबकि जिले के छोटे जन औषधि केंद्रों द्वारा चार से पांच लाख की दवा हर माह मंगायी जाती है. जन औषधि केंद्रों में दवाओं की बिक्री में पटना टॉप पर है. इसके बाद गया और तीसरे नंबर पर मुजफ्फरपुर जिले का स्थान है.

बाजार से काफी सस्ती सैनेट्री पैड भी यहां उपलब्ध

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में बाजार से काफी सस्ती सैनेट्री पैड भी उपलब्ध है. हर दिन इसकी काफी बिक्रीहोती है. गर्दनीबाग अस्पताल स्थित जन औषधि दवा केंद्र संचालित कर रहे व्यापारी सोनू कुमार ने बताया कि हमारे केंद्र से महिलाओं को मात्र 10 रुपये में 10 पैड मिल जा रहे हैं.

औषधि केंद्र में 1451 तरह की दवाएं

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में 1451 तरह की दवाएं हैं. साथ ही 240 प्रकार के सर्जिकल आइटम हैं. इनमें से पटना के हर केंद्र पर 800 से 900 तरह के प्रोडक्ट उपलब्ध हैं.

90% तक सस्ती होती हैं जन औषधि केंद्र की दवाएं

बीते डेढ़ साल में पटना जिले में दवाएं 90% तक सस्तीहोती हैं. जागरूकता बढ़ने से इन क्रेंद्रों से दवाओं की खरीदारी भी काफी बढ़ गयी है. पूर्व के वर्षों में केंद्र संचालकों द्वारा माह में एक बार ही दवाओं का ऑर्डर दिया जाता था. अभी माह में चार से पांच बार ऑर्डर दिया जाता है. जिस दवा की डिमांड ज्यादा होती है, जन औषधि केंद्रों द्वारा उसे प्रमुखता से मंगाया जाता है.

– कुमार पाठक, नोडल पदाधिकारी, जन औषधि केंद्र बिहार

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