पुत्री को हवस का शिकार बनाने वाले पिता को दोहरी आजीवन कारावास
समस्तीपुर : बिहार के समस्तीपुर में पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर हवस का शिकार बनाने वाले एक पिता को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कठोर सजा सुनायी है. भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत न्यायाधीश ने दुष्कर्मी को दोहरी आजीवन कारवास की सजा सुनायी ही दो लाख रुपये का जुर्माना […]
समस्तीपुर : बिहार के समस्तीपुर में पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर हवस का शिकार बनाने वाले एक पिता को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कठोर सजा सुनायी है. भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत न्यायाधीश ने दुष्कर्मी को दोहरी आजीवन कारवास की सजा सुनायी ही दो लाख रुपये का जुर्माना भी किया है. महज साढे तीन माह के अंदर दिये गये फैसले में न्यायालय ने पीड़िता एवं उसकी बहन एवं भाई के भरण पोषण, शिक्षा की जिम्मेवारी समस्तीपुर डीएम को सौंपा है. घटना पटोरी थाना क्षेत्र के एक गांव की है.
जानकारी के अनुसार पटोरी थाना क्षेत्र के एक गांव के एक व्यक्ति ने साढे तीन माह पूर्व अपनी नाबालिग पुत्री को हवस का शिकार बनाया. उसने अपनी पुत्री को इस बात की जानकारी किसी को नहीं देने की चेतावनी भी दी. पर जब दूसरी बार उसने उसे अपना हवस का शिकार बनाना चाहा तो वह भागकर अपनी चचेरी बहन के यहां चली गयी. वहां उसने सारी बातें बतायी. इसके बाद पीड़िता अपनी चचेरी बहन के साथ पुलिस के पास गयी और सारी घटना की जानकारी दी.
आराेपित की पत्नी की मौत घटना के महज 5 माह पहले हो गयी थी
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपित पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. बताया जाता है कि आरोपित की पत्नी की मौत घटना के महज पांच माह पहले हो गयी थी. घर में अपनी नाबालिग पुत्री को पाकर उसने साये अवस्था में उसे हवस का शिकार बना लिया.
कोर्ट ने आरोपित पिता को सुनायी कठोर सजा
घटना को लेकर न्यायालय में दर्ज वाद की सुनवायी करते हुए प्रथम अपर एवं जिला सत्र न्यायाधीश इरशाद अहमद ने बुधवार को आरोपित पिता को कठोर सजा सुनायी. धारा 376 एवं पाक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी वहीं दोनों ही एक्टों में एक एक लाख रुपये जुर्माना भी सुनाया. जुर्माना की राशि जमा नहीं करने पर छह छह महीने का अतिरिक्त सजा काटनी पड़ेगी. दोनों ही सजाएं एक साथ चलेंगी.
पीड़िता एवं उसके भाई बहन का डीएम करेंगे भरण पोषण
न्यायाधीश ने अपने फैसले में पीड़िता एवं उसकी दो बहन एवं एक भाई को खाना, पीना, देखरेख, सुरक्षा के साथ साथ उसकी पढाई लिखाई का जिम्मा डीएम को सौंपा है. डीएम को उसकी व्यवस्था करनी होगी. बतादें कि पीड़िता महज 13 वर्ष की है. इस मामले के त्वरित निष्पादन में प्रशासन ने भी तत्परता दिखाते हुए स्पीडी ट्रायल चलाने का आग्रह किया. पुलिस अधीक्षक नवल किशोर सिंह के आग्रह पर एवं मामले का अनुसंधान एवं चार्जशीट समय से सौंप दिये जाने के कारण मामले की सुनवायी जल्द हो सकी.
महज साढे तीन महीने में न्यायालय ने सुनाया फैसला
जिले की यह पहली घटना है जिसमें न्यायालय ने महज साढे तीन महीने में सुनवायी पूरी कर सजा सुनायी है. सुनवायी के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक विनोद कुमार ने अपना पक्ष रखा.