पुत्री के साथ दुष्कर्म करने वाले पिता को उम्रकैद

समस्तीपुर : पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर हवस का शिकार बनानेवाले पिता को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कठोर सजा सुनायी है. भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत न्यायाधीश ने दुष्कर्मी को दोहरी आजीवन कारवास की सजा सुनायी है साथ ही दो लाख रुपये का जुर्माना भी किया है. महज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2017 2:01 AM

समस्तीपुर : पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर हवस का शिकार बनानेवाले पिता को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कठोर सजा सुनायी है. भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत न्यायाधीश ने दुष्कर्मी को दोहरी आजीवन कारवास की सजा सुनायी है साथ ही दो लाख रुपये का जुर्माना भी किया है.

महज साढ़े तीन माह के अंदर दिये गये फैसले में न्यायालय ने पीड़िता, उसकी बहन एवं भाई के भरण पोषण, शिक्षा की जिम्मेवारी समस्तीपुर डीएम को सौंपा है. घटना पटोरी थाना क्षेत्र के एक गांव की है.जानकारी के अनुसार, पटोरी थाना क्षेत्र के एक गांव के एक व्यक्ति ने साढ़े तीन माह पूर्व अपनी नाबालिग पुत्री को हवस का शिकार बनाया.
उसने अपनी पुत्री को इस बात की जानकारी किसी को नहीं देने की चेतावनी भी दी. पर जब दूसरी बार उसने उसे अपना हवस का शिकार बनाना चाहा, तो वह भाग कर अपनी चचेरी बहन के यहां चली गयी. वहां उसने सारी बातें बतायीं. इसके बाद पीड़िता अपनी चचेरी बहन के साथ पुलिस के पास गयी और सारी घटनाओं की जानकारी दीं. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपित पिता को गिरफ्तार कर
पुत्री के साथ
जेल भेज दिया था. बताया जाता है कि आरोपित की पत्नी की मौत घटना के महज पांच माह पहले हो गयी थी. घर में अपनी नाबालिग पुत्री को पाकर उसने साेये अवस्था में उसे हवस का शिकार बना लिया. घटना को लेकर न्यायालय में दर्ज वाद की सुनवायी करते हुए प्रथम अपर एवं जिला सत्र न्यायाधीश इरशाद अहमद ने बुधवार को आरोपित पिता को कठोर सजा सुनायी. धारा 376 एवं पाक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी. वहीं दोनों ही एक्टों में एक एक लाख रुपये जुर्माना भी सुनाया.
जुर्माना की राशि जमा नहीं करने पर छह छह महीने का अतिरिक्त सजा काटनी पड़ेगी. दोनों ही सजाएं एक साथ चलेंगी. न्यायाधीश ने अपने फैसले में पीडि़ता एवं उसकी दो बहन एवं एक भाई को खाना, पीना, देखरेख, सुरक्षा के साथ साथ उसकी पढ़ाई लिखाई का जिम्मा डीएम को सौंपा है. डीएम को उसकी व्यवस्था करनी होगी. बता दें कि पीड़िता महज 13 वर्ष की है. इस मामले के त्वरित निष्पादन में प्रशासन ने भी तत्परता दिखाते हुए स्पीडी ट्रायल चलाने का आग्रह किया.
पुलिस अधीक्षक नवल किशोर सिंह के आग्रह पर एवं मामले का अनुसंधान एवं चार्जशीट समय से सौंप दिये जाने के कारण मामले की सुनवाई जल्द हो सकी. जिले की यह पहली घटना है, जिसमें न्यायालय ने महज साढ़े तीन महीने में सुनवाई पूरी कर सजा सुनायी है. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक विनोद कुमार ने अपना पक्ष रखा.
मामला समस्तीपुर
के एक गांव का
साढ़े तीन महीने में न्यायालय ने सुनाया फैसला
पीड़िता व उसके भाई-बहन का डीएम करेंगे भरण पोषण
शिक्षा की व्यवस्था भी करने का दिया निर्देश

Next Article

Exit mobile version