समस्तीपुर : इंद्रवारा मुठभेड़ मामले में डीआइजी विनोद कुमार ने जिन तथ्यों के आधार पर सरायरंजन थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह के निलंबित किया है, उसमें कई विरोधाभास भी है. अगर, वरीय पुलिस अधिकारियों को सरायरंजन थानाध्यक्ष ने छापेमारी की सूचना नहीं दी थी, तो एसपी निर्देशन में काम करने वाली डीआइयू टीम के जवान वहां किसके आदेश पर पहुंचे. छापेमारी के दौरान एसपी कोठी के बीएमपी जवान अनिल कुमार सिंह की हुई शहादत ही इस पर सवाल खड़े करती है.
आखिर जब वरीय पदाधिकारियों को सूचना नहीं थी, तो डीआइयू टीम के जवान इस छापेमारी में शामिल कैसे हुए. यह जांच का विषय प्रतीत हो रहा है. पुलिस महकमे की ओर से वरीय को बचाने के लिये रखे जा रहे तथ्यों पर विरोधाभास भी पैदा कर रहा है. साथ ही जिला पुलिस के कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा हो रहा है कि किसी भी थाने की पुलिस कैसे सीमा क्षेत्र का उल्लंघन बिना संबंधित थाने को सूचित किये कर रही है. पुलिस सूत्रों कि मानें, तो पिछले दो माह के दौरान दर्जनों ऐसे मामले सामने आये हैं
जब एसपी के आदेश पर दूसरे थाना की पुलिस ने अन्य थाना क्षेत्र में छापेमारी की है. पुलिस सूत्रों की मानें तो पिछले माह ताजपुर गोलीकांड की तर्ज पर इस मामले में भी वरीय अधिकारियों को बचाने के लिये छोटे पदाधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिरायी जा रही है. बता दें कि ताजपुर मामले में भी तीन पुलिस निरीक्षक पर कार्रवाई हुई थी.