30% छात्रों को ही पता, क्या है प्रयोगशाला?
समस्तीपुर : जिले के हाइ स्कूलों में शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए सरकारी स्तर पर व्यवस्था की जा रही है. उच्च विद्यालय जहां प्रयोगशाला नहीं थे, वहां प्रयोगशाला के लिए सरकार ने राशि आवंटित भी कर दी. कुछेक हाइ स्कूलों में उपलब्ध की गयी राशि से प्रयोगशाला के उपकरणों को भी खरीद लिया […]
समस्तीपुर : जिले के हाइ स्कूलों में शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए सरकारी स्तर पर व्यवस्था की जा रही है. उच्च विद्यालय जहां प्रयोगशाला नहीं थे, वहां प्रयोगशाला के लिए सरकार ने राशि आवंटित भी कर दी. कुछेक हाइ स्कूलों में उपलब्ध की गयी राशि से प्रयोगशाला के उपकरणों को भी खरीद लिया गया. इसके बाद भी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को यह नहीं पता कि कहां है प्रयोगशाला की व्यवस्था. एक शिक्षा विभाग के पदाधिकारी की मानें तो सरकारी स्कूलों में मात्र 30 फीसदी छात्रों को पता है,आखिर क्या है प्रयोगशाला? शहर के बालिका उच्च विद्यालय को प्लस टू का दर्जा दे दिया गया. लेकिन जर्जर भवन में प्रयोगशाला कैद है. प्रयोगशाला खुलने की जगह बंद हैं, जिससे छात्रों को लाभ नहीं मिल पा रहा है.
क्या है योजना
सरकारी उच्च विद्यालयों में वर्ष 1990 से ही प्रत्येक छात्र-छात्राओं को जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान तथा रसायन विज्ञान में प्रैक्टिकल की परीक्षा देना अनिवार्य कर दिया गया था. नियमों के अनुसार तभी स्कूलों में प्रैक्टिकल के लिए प्रयोगशाला की व्यवस्था होनी चाहिए थे. बावजूद इसके हाइ स्कूलों में बगैर प्रयोगशाला के ही प्रैक्टिकल की परीक्षा ली जाती रही.
वर्ष 2005 में सरकार की नींद खुली और प्रत्येक हाइ स्कूल में प्रयोगशाला की व्यवस्था के लिए राशि उपलब्ध कराना शुरू कर दिया गया. ताकि, बच्चों को प्रयोगशाला के माध्यम से सही शिक्षा मिल सके.
क्या है वर्तमान स्थिति
जिले के सभी प्रोजेक्ट विद्यालयों के अलावा अल्पसंख्यक विद्यालय व राजकीयकृत हाइ स्कूलों में प्रयोगशाला के लिए राशि उपलब्ध कराने के बाद भी धरातल पर छात्रों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. कारण, अधिकांश स्कूलों में प्रयोगशाला काम ही नहीं कर रहा. अगर, कहीं उपकरण उपलब्ध भी है तो कई बच्चों को यह भी नहीं पता कि परखनली तथा वीकर क्या है.
वहीं तमाम हाइ स्कूलों में प्रयोगशाला सहायकों की भारी कमी है. यहीं कारण है कि प्रयोगशाला सही तरीके से काम नहीं कर पा रहे हैं. कई स्कूलों में तो प्रयोगशाला कक्ष के आगे बोर्ड भी लगा नहीं है. ऐसे में इसकी शिक्षा के बारे में सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है. डीइओ कार्यालय से सटे बालिका उच्च विद्यालय की छात्राएं विगत कई वर्षों से लैब रूम तो देख रही है, लेकिन लैब आज तक नहीं किया है.
इस संबंध में जब एक शिक्षक से पूछा गया, तो चौंकाने वाला तथ्य उजागर हुआ. इस विद्यालय के लैब रूम में तत्कालीन डीइओ के आदेश पर परीक्षा से जुड़ी कागजात रखे होने के कारण लैब रूम में ताला बंद है और जिन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए वे वंचित है. कुछेक विद्यालयों से भी लैब संचालन के संबंध में पूछताछ की गयी, तो एचएम लैब कराने की बात कह तो रहे हैं. छात्रा उनकी बातों को झूठलाते हुए कागजी खानापूर्ति की बात बताते हैं.