कीर्तन कर महिलाओं ने जताया विरोध

समस्तीपुरः धार्मिक स्थल तोड़ने की भनक लगते ही सैकड़ों महिला-पुरुष मंगलवार को परिसर में पहुंच गयी. साथ ही रेलवे की मंदिर तोड़कर हटाये जाने के आदेश की निंदा करते हुए इसका विरोध जताने लगे. लोगों ने आस्था पर चोट बताते हुए डीआरएम से कहा है कि अपने आदेश को वह वापस लें. पूजा-अर्चना में व्यवधान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2014 5:30 AM

समस्तीपुरः धार्मिक स्थल तोड़ने की भनक लगते ही सैकड़ों महिला-पुरुष मंगलवार को परिसर में पहुंच गयी. साथ ही रेलवे की मंदिर तोड़कर हटाये जाने के आदेश की निंदा करते हुए इसका विरोध जताने लगे.

लोगों ने आस्था पर चोट बताते हुए डीआरएम से कहा है कि अपने आदेश को वह वापस लें. पूजा-अर्चना में व्यवधान न डालें. इधर, दर्जनों महिला श्रद्धालुओं ने भजन कीर्तन शुरू कर दिया है. हमरा दुर्गा मइया के मंदिरवा कमाल लागेला.. जैसे भक्ति गीतों से गूंजायमान करना शुरू कर दिया.

पिछले करीब पंद्रह साल से अटेरन चौक के निकट डीजल शेड के सामने दुर्गा पूजा होता आ रहा है. 2002 में छात्र अरविन्द कुमार ने इसकी विधिवत शुरुआत की थी. श्री श्री 108 शिव शांति दुर्गा पूजा समिति के बैनर तले इस स्थान को पहले को चारों ओर से घेरा लगाकर रखा गया था जबकि लोगों के सहयोग से इस जगह को अपवित्र न कर दिया जाये इसके लिए अस्थायी तौर पर पीछे से ईंट का दीवार बनाकर घेर दिया गया. दोनों साइड से भी मंदिर के कम ऊंचाई की दीवारें बनी हुई है. स्थानीय लोगों का बताना है कि इस मंदिर में दुर्गा माता की फोटो की प्रतिमा सालों भर रहती है.

प्रत्येक मंगलवार एवं महीने के 9 तारीख को भजन-कीर्तन एवं शिवगुरु परिवार की ओर से शिव चर्चा का आयोजन हुआ करता है. जिसमें रेलवे कॉलोनी सहित आसपास की दर्जनों महिलाएं भाग लेती है. स्थानीय लोगों का यह भी बताना है कि इस मंदिर से रेलवे को किसी प्रकार की परेशानी भी नहीं है. अनुपयोगी जगह में मंदिर अवस्थित है. मंदिर के ऊपर से बिजली का तार गया है, इस वजह से कभी भी यहां पर पक्का निर्माण कार्य संभव नहीं है. कर्कट डालकर यहां पर पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि मंडल रेल प्रबंधक के द्वारा सोमवार को बातचीत के लिए बुलाया गया था. यहां से करीब डेढ़ सौ की संख्या में लोग डीआरएम ऑफिस में गये थे.

पांच लोगों को मिलने के लिए बुलाया गया. डीआरएम से आग्रह किया गया कि इस मंदिर को न हटाया जाये, किंतु वे इस पर अड़े रहे. हालांकि समस्तीपुर शहर के ही अन्य स्थानों पर अवस्थित धार्मिक स्थलों का हवाला दिया गया जो रेलवे की जमीन में अवस्थित है. बावजूद डीआरएम नहीं माने और उन्होंने बिहार सरकार की जमीन में इसे ले जाने का आदेश मंगलवार की दोपहर तक दिया. ग्रामीणों का यह भी बताना है कि वे लोग किसी भी कीमत पर मंदिर को नहीं तोड़ेंगे. रेलवे के द्वारा यदि मंदिर को हटाने की कार्रवाई की जाती है तो इसका विरोध किया जायेगा.

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