मोहनपुर (समस्तीपुर) : न सिर्फ भारतीय परंपरा बल्कि वैदिक पद्धतियों में विवाह के बाद बेटी की विदाई का सुख सबसे बड़ा सुख माना गया है. हिंदू धर्म में सबसे बड़ा पुण्य का काम गाय दान करना माना गया है. लेकिन, शास्त्र में वर्णित है कि एक बेटी के दान का पुण्य करोड़ों गायों के दान करने के बराबर है. जिस बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया, मुश्किल के बीच योग्यवर तलाश कर विवाह करने की बात सोची़, मोहनपुर के एक पिता ने बेटी की विदाई करने से पहले अपनी विदाई ले ली. विवाह मंडप में ही कन्यादान करते हुए पिता ने एक बार हिचकी ली और दम तोड़ दिया. किसी को कुछ जानने-समझने का मौका भी नहीं मिला.
घर में विवाह की तैयारियों के बीच खुशियों का माहौल तुरंत गम में बदल गया. यह घटना है ओपी क्षेत्र के विशनपुर बेरी पंचायत के मटिऔर गांव की. गांव के विश्वनाथ राय की पुत्री सुधा की शादी विद्यापतिनगर प्रखंड के मऊ विशनपुर गांव से आये वर के साथ सोमवार की देर रात में हो रही थी. विवाह की सारी परेशानियां दूर कर ली गयी थी़. मुश्किल खर्चों का निबटारा कर लिया गया था. बेटी का हाथ वर के हाथ में देकर पिता वैदिक मंत्रों तथा पारंपरिक विधियों का अनुसरण कर रहे थे़, तभी हृदयाघात हो गया और उनकी विवाह मंडप में मौतही हो गयी.