समस्तीपुर : कम पानी व भूमि में अधिक उपज की तकनीक खोजें : राष्ट्रपति

अभय पूसा (समस्तीपुर) : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को वर्तमान दौर की बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि इसके दुष्प्रभावों से खेतीबारी को बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों, संस्थानों और शोधकर्ताओं को आगे आना होगा. उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे कम जमीन और कम पानी के साथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2018 7:22 AM

अभय

पूसा (समस्तीपुर) : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को वर्तमान दौर की बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि इसके दुष्प्रभावों से खेतीबारी को बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों, संस्थानों और शोधकर्ताओं को आगे आना होगा. उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे कम जमीन और कम पानी के साथ ज्यादा कृषि उत्पादकता वाली कृषि प्रणाली विकसित करें.

राष्ट्रपति गुरुवार को समस्तीपुर के पूसा में डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने बिहार में कृषि के क्षेत्र में उत्तरोतर प्रगति पर खुशी जाहिर किया और कहा कि मेरे दिल में बिहार के लिए विशेष जगह है. पशुपालन भी कृषि का एक अंग है और बिहार को 2018 में पशुपालन के क्षेत्र में अग्रणी रहने का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है. राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने कृषि वैज्ञानिकों पर गर्व है.

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है. अब खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़ कर सभी को जरूरी पौष्टिकता उपलब्ध कराने की दिशा में काम करना होगा. राष्ट्रपति ने कहा कि आज जरूरत विज्ञान सम्मत कृषि तकनीकी को अपनाने की है़ देश की आबादी की तुलना में खेती लायक जमीन और जल संसाधन की कमी है़ ऐसी स्थिति में कम जमीन और पानी के इस्तेमाल से अधिक पैदावार लेने की जरूरत है़

अगले साल तक हो जायेगा अलग कृषि फीडर का निर्माण : सीएम

दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस साल 25 अक्टूबर को हर घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है.अगले साल तक हर इलाके में अलग कृषि फीडर का निर्माण हो जायेगा. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निबटने के लिए क्रॉप साइकिल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. बारिश की मात्रा तेजी से घट रही है़

राज्य में पहले 1200 से 1500 मिमी तक वर्षा होती थी़ आज यह घटकर 800 से 900 मिमी तक हो गयी है़ बिहार के 23 जिलों के 275 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है़ किसानों के हित में वैकल्पिक फसल चक्र विकसित करने की जरूरत है.

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