मक्के की बाली में दाना नहीं आने से किसानों में मायूसी
कृषि विभाग ने भीषण तापमान को माना जिम्मेदार विद्यापतिनगर : तापमान में बेतहाशा वृद्धि से मक्के की फसल प्रभावित हुई है़ मक्के की बाली में दाने नहीं आये हैं. इससे इलाके के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. बता दें कि गेहूं की फसल से खाली हुए खेतों में मेहनतकश किसानों ने मक्के […]
कृषि विभाग ने भीषण तापमान को माना जिम्मेदार
विद्यापतिनगर : तापमान में बेतहाशा वृद्धि से मक्के की फसल प्रभावित हुई है़ मक्के की बाली में दाने नहीं आये हैं. इससे इलाके के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. बता दें कि गेहूं की फसल से खाली हुए खेतों में मेहनतकश किसानों ने मक्के की फसल की बोआई की थी.
विपरीत मौसम से बेपरवाह किसानों ने कमर तोड़ मेहनत कर पौधे को सींच कर खेतों में लहलहा दिया. लेकिन जब दाने की बारी आयी, तो उन्हें खुद को ठगा सा महसूस होना पड़ा.
किसानों का कहना है कि इस वर्ष लहलहाती मक्के की फसल के बाली में दाना नहीं होने की शिकायत है़ कृषि विभाग ने इसका कारण भीषण गर्मी को माना है़ साहिट गांव के बैजनाथ पासवान ने बताया कि बटाई व ठेका के तहत दो बीघा जमीन में खेती करते हैं.
इनका मानना है कि मेहनत के बल पर मक्के की फसल को फसल चक्र के विपरीत तैयार किया जा सकता है़ रबी फसल से खाली पड़े खेतों में इन्होंने मक्के की खेती किया था़ इलाके के किसान अमूमन बरसात के शुरुआत होने पर यानी खरीफ की खेती के तौर पर मक्के की फसल उपजाते हैं.
इन्होंने मार्च माह में एक बीघा जमीन में मक्के की खेती की़ भीषण गर्मी के कारण पटवन बार-बार करना पड़ा़ हरियाली से भरपूर फसल से मक्के की अच्छी पैदेवार होने की आस जगी थी. पर मेहनत और अधिक लागत के बूते फसल चक्र को पराजित करने में आखिरकार उनको लहलहाती मक्के की फसल ने मायूस कर दिया. बाली में दाना नहीं होने से मेहनत पर पानी फिर गया़ परिणाम स्वरुप लहलहाती मक्के की फसल मवेशियों का निवाला बना है.
क्षेत्र में कई किसानों ने अगता खेती के रुप में मक्के की खेती किया है. जहां बाली में दाना नहीं होने की शिकायत है़ इसे लेकर कृषि समंवयक प्रभात कुमार ने बताया कि अधिक तापमान के कारण मक्के की फसल प्रभावित हुई है.