– शिवाजीनगर ओपी में तैनात है गिरफ्तार दारोगा श्रीराम दुबे
– दरभंगा आइजी के आदेश पर एसपी ने की कार्रवाई
– केस से नाम हटाने के लिए 20 हजार मांग रहा था घूस, 15 हजार देकर बनायी वीडियो
– रोसड़ा डीएसपी भी जांच के घेरे में, पटोरी एएसपी को मिला जांच का जिम्मा
समस्तीपुर : बिहार के समस्तीपुर में शिवाजीनगर ओपी में तैनात दारोगा श्रीराम दुबे को रिश्वत लेने के आरोप में गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया. एक कांड में आरोपितों का नाम हटाने के एवज में 15 हजार रुपये रिश्वत लेते दारोगा का वीडियो वायरल हुआ था. गुरुवार को रोसड़ा डीएसपी कार्यालय में लंबित कांडों की समीक्षा के लिए पहुंचे दरभंगा के आइजी पंकज दराद को जब वीडियो वायरल होने की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत दारोगा श्रीराम दुबे को बुलाकर पूछताछ की. इसके बाद एसपी हरप्रीत कौर के निर्देश पर दुबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
वायरल वीडियो में दारोगा ने रोसड़ा के डीएसपी अरुण कुमार दुबे का भी नाम लिया है. निरीक्षण के क्रम में आइजी ने रोसड़ा डीएसपी की भी जमकर क्लास लगायी है़ साथ ही पटोरी एएसपी विजय कुमार सिंह को इस पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट करने को कहा गया है़ इस बीच, आइजी श्री दराद ने जब आरोपित दारोगा को श्रीराम दुबे को बुलाकर उनसे वीडियो को लेकर पूछताछ की, तो उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली. इसके बाद दारोगा को हिरासत में ले लिया गया. एसपी हरप्रीत कौर आरोपी दारोगा को लेकर शिवाजीनगर ओपी पहुंची़ं वहां भी उनसे काफी देर तक पूछताछ की गयी़ एसपी ने दारोगा के आवास की भी जांच पड़ताल की.
तीन नाम हटाने के एवज में लिया था 15 हजार
बता दें कि शिवाजीनगर दंगा मामले में दर्ज कांड संख्या 20/19 का अनुसंधानक दारोगा श्रीराम दुबे को बनाया गया था़ इस कांड में सिर्फ अज्ञात लोगों को ही आरोपित किया गया था. बाद में अनुसंधान के क्रम में दारोगा ने इस कांड में कई लोगों का नाम डाल दिया था. कांड से नाम हटाने के एवज में रुपये की खुलेआम वसूली की जा रही थी. इसी बीच एक पैरवीकार ने उपेंद्र गौड़ा, सुभाष मंडल सहित तीन आरोपियों के नाम हटाने की पैरवी की थी, जिसमें श्रीराम दुबे ने 20 हजार रुपये की मांग की थी. पैरवीकार ने 20 हजार के बजाय 15 हजार रुपये देकर इस लेनदेन का एक वीडियो तैयार कर लिया. बाद में उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.
थानाध्यक्ष पर भी गिर चुकी है गाज
इसी कांड में शिवाजीनगर के तत्कालीन थानाध्यक्ष हनुमान चौधरी पर भी गाज गिर चुकी है. डीआइजी क्षत्रनील सिंह ने अनुसंधान में गड़बड़ी करने के आरोप में उन्हें निलंबित कर दिया था. थानाध्यक्ष हनुमान चौधरी पर अवैध उगाही करने की नियत से इस केस में निर्दोष लोगों का नाम डाल देने का आरोप लगा था.
कहते हैं आइजी
केस से नाम हटाने के एवज में घूस मांगने का वीडियो वायरल हुआ है. मामला काफी संगीन है. आरोपी दारोगा को गिरफ्तार कर उस पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया गया है. साथ ही इस मामले में डीएसपी की भूमिका पर भी जांच करने को कहा गया है. (पंकज दराद, आइजी, दरभंगा)