जिले में बिना प्रस्वीकृति के ही चल रहे हैं 200 से अधिक निजी स्कूल

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2011 के तहत बिना प्रस्वीकृति के अब निजी विद्यालयों का संचालन नहीं हो सकेगा. लेकिन नियम को ताक पर रख निजी विद्यालय संचालित हो रहे है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 9, 2024 11:13 PM

समस्तीपुर : शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2011 के तहत बिना प्रस्वीकृति के अब निजी विद्यालयों का संचालन नहीं हो सकेगा. लेकिन नियम को ताक पर रख निजी विद्यालय संचालित हो रहे है. जिले में 700 सौ से अधिक निजी स्कूल हैं, लेकिन विभाग से मात्र 492 विद्यालयों को ही प्रस्वीकृति प्राप्त है. ऐसे में कई स्कूल बिना विभागीय मापदंड को पूरा किए धड़ल्ले से संचालित किये जा रहे हैं. गौर करने वाली बात है कि विभागीय मापदंड को पूरा कर संचालित हो रहे निजी विद्यालयों को सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय से प्रस्वीकृति दी जाती है. विभागीय पदाधिकारी भी कहते है कि बच्चों के नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 नियम के के तहत अब बिना प्रस्वीकृति (क्यूआर कोड) के निजी विद्यालय संचालित नहीं होंगे. शिक्षा विभाग द्वारा विकसित इ- संबंधन पोर्टल पर आवेदन अनिवार्य है. पोर्टल पर निजी विद्यालय द्वारा आवेदन नहीं किया जाएगा, तो विधि सम्मत कार्रवाई के साथ-साथ आर्थिक दंड का प्रावधान है. बावजूद बिना प्रस्वीकृति के निजी विद्यालय संचालित हो रहे है. शिक्षा विभाग की बिना प्रस्वीकृति के संचालित निजी विद्यालयों पर 01 लाख रुपया आर्थिक दंड किया जाना है. दंड लगाये जाने के बावजूद निजी विद्यालय के संचालित होने पर विभागीय आदेश की अवहेलना मानते हुए प्रत्येक दिन 10 हजार रुपये जुर्माना किया जा सकता है. छात्र नेता मुलायम सिंह यादव बताते है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम एवं विभागीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बड़े पैमाने पर निजी विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है. विभागीय लापरवाही एवं उपेक्षित रवैया के कारण बिना मान्यता के प्राइवेट स्कूल खुल रहे हैं. शिक्षा विभाग के सख्त आदेशों के बावजूद भी इस पर विराम नहीं लग पा रहा है. कई स्कूल संचालकों ने तो आठवीं की मान्यता होने के बाद भी 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं संचालित कर रखी है.

लेखा-जोखा नहीं देने वाले निजी स्कूलों पर हो सकता है जुर्माना:

निजी स्कूल पिछले कई साल से आय-व्यय का लेखा-जोखा नहीं दे रहे है. हर साल जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से ऑडिट रिपोर्ट मांगी जाती. अब ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई की तैयारी हो रही है. हर साल ऑडिट रिपोर्ट बनानी होती है. एक कॉपी जिला शिक्षा कार्यालय में जमा करना जरूरी है. शिक्षा का अधिकार 2009 के तहत निजी स्कूलों को ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने का नियम बनाया गया था. 2011 में यह लागू हुआ. इधर डीईओ से निजी स्कूलों की सूची मांगी गयी है. ऑडिट रिपोर्ट नहीं देने वाले स्कूल पर एक लाख सालाना जुर्माना का प्रावधान है. साल भर के आय और खर्च का लेखा जोखा करने के लिए हर स्कूल को एक कमेटी भी गठित करनी है. कमेटी हर स्कूल से उनके खर्च और व्यय का ब्योरा लेती है, लेकिन, फिलहाल कुछ भी धरातल पर नहीं है. फेस्टिवल और सेलिब्रेशन के नाम पर हर स्कूल एक हजार रुपये तक नये सत्र की शुरुआत में लेते है, जबकि वार्षिकोत्सव और वार्षिक खेलकूद के नाम पर अलग से शुल्क लिये जाते हैं.

पहले से दी गई प्रस्वीकृति में कई स्कूल मापदंड को नहीं पूरा करने वाले शामिल:

पहले से प्रस्वीकृति प्राप्त प्राइवेट स्कूल धरातल पर चल रहे हैं या कागजों में सिमट कर रह गए हैं. उनके द्वारा विभागीय मापदंड के अनुसार प्रस्तुत किए गए कागजात ठीक है या नहीं. स्कूल की आधारभूत संरचना, शिक्षक व छात्रों की संख्या, पठन-पाठन से संबंधित संसाधनों की क्या स्थिति है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रस्वीकृति प्राप्त स्कूलों में कई ऐसे स्कूल हैं जिनका अपना भवन नहीं है, न स्कूल परिसर में खेल मैदान है, न पक्का छत है. विभाग अगर सही तरीके से जांच कराये तो कई स्कूलों की प्रस्वीकृति रद्द करनी पड़ सकती है. शिक्षा विभाग मानक विहीन विद्यालयों पर शिकंजा कसने में अभी तक विफल हैं. खास बात यह है कि अधिकांश स्कूल आठवीं की मान्यता की आड़ में हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की कक्षाएं चला रहे हैं. मानक के अनुरूप विद्यालयों का संचालन हो रहा है कि नहीं, इसके जांच के लिए विभाग के अधिकारी झांकने तक नहीं जाते हैं. जानकारी के अभाव में बच्चों व उनके अभिभावक गुमराह होने के लिए विवश हैं. डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने बताया कि सभी विद्यालयों को अब मान्यता लेने से पहले ई-संबंधन पोर्टल पर पंजीयन करवाना होगा. ई-संबंधन पोर्टल पर पंजीयन करने के बाद विभागीय जांचोपरांत ही निजी स्कूल को राज्य सरकार से एनओसी व मान्यता मिल पाएगी. उसके बाद ही कोई व्यक्ति या संस्थान क्षेत्र में निजी विद्यालय खोल सकते हैं.

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