अरहर के फूल गिरने से घबरायें नहीं किसान : डॉ मिश्रा
फोटो संख्या : 5मकर संक्रांति के बाद दोबारा आयेगा फूलघटते तापमान का फसल पर पड़ रहा असरप्रतिनिधि, पूसा राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के अधीन तिरहुत कृषि कॉलेज के अरहर वैज्ञानिक डॉ एसबी मिश्रा का कहना है कि प्रथम फूल को गिरने से अरहर के किसान बिल्कुल ही नहीं घबरायें. यह बदलते मौसम के प्रभाव से एवं […]
फोटो संख्या : 5मकर संक्रांति के बाद दोबारा आयेगा फूलघटते तापमान का फसल पर पड़ रहा असरप्रतिनिधि, पूसा राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के अधीन तिरहुत कृषि कॉलेज के अरहर वैज्ञानिक डॉ एसबी मिश्रा का कहना है कि प्रथम फूल को गिरने से अरहर के किसान बिल्कुल ही नहीं घबरायें. यह बदलते मौसम के प्रभाव से एवं तापमान में अप्रत्याशित कमी के कारण गिर रहा है. मकर संक्रांति यानी 15-20 जनवरी के बाद तापमान बढ़ने पर पुन: फूल लगने से निश्चित रूप से फल आयेगा. फिलहाल अरहर में किसी भी प्रकार के इनसेक्टीसाइट का प्रयोग न करें. आरएयू के प्रभेद में शरद, बहार, पूसा अभेति एवं बीआर-65 है. वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र का मात्र एक प्रभेद पी-9 तक ही सीमित रखा गया है. अरहर भारत का एक प्रमुख एवं महत्वपूर्ण फसल है. जो लगभग सभी प्रदेशों में उगायी जाती है. दाल प्रोटीन के साथ साथा ऊर्जा, खनिज सहित अन्य विटामिंस भी पाये जाते हैं. बिहार में अरहर की खेती लगभग 40 हजार हेक्टेयर में की जाती है. बिहार में अरहर की खेती लायक जलवायु व भूमि हैं. किसान अरहर की खेती पर जोर दें ताकि प्रति व्यक्ति 80 ग्राम प्रतिदिन उपलब्ध कराया जा सके. इसमें खर पतवार नियंत्रण शुरू के अवस्था में ही ध्यान देना होता है. हालांकि फल लगने के बाद प्रभावित करने वाले कीटों में फली छेदक, फली मक्खी, फ्लूम मोथ, नीली तितली का प्रकोप होने की संभावना बनी रहती है. इसे नियंत्रण के लिए इंडोसल्फान 35 ईसी या मोनो क्रोटोफास आदि अनुशंसित दवा का प्रयोग करें.