मौसम की बेरुखी से आलू उत्पादक परेशान

लहलहाते आलू के फसल को लहका का डरप्रतिनिधि, विद्यापतिनगरमौसम की बेरुखी ने आलू उत्पादकों की नींद छीन ली है़ दिन खिलने पर इनके चेहरे मुरझाने का इन्हें डर व्याप्त है़ किसान अलाव छोड़ दवा दारू के जुगाड़ में जुट गये हैं़ शीतलहर, ठंड एवं बारिश ने आलू उत्पादकों की पीड़ा बढ़ा दी है़ जहां धूप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2015 5:02 PM

लहलहाते आलू के फसल को लहका का डरप्रतिनिधि, विद्यापतिनगरमौसम की बेरुखी ने आलू उत्पादकों की नींद छीन ली है़ दिन खिलने पर इनके चेहरे मुरझाने का इन्हें डर व्याप्त है़ किसान अलाव छोड़ दवा दारू के जुगाड़ में जुट गये हैं़ शीतलहर, ठंड एवं बारिश ने आलू उत्पादकों की पीड़ा बढ़ा दी है़ जहां धूप खिलने पर इनके चेहरे को मुरझाने का डर व्याप्त है़ बताया जाता है कि बारिश के कारण कोहरे व ठंड से आलू के फसल के बचाव के लिये किये गये आवश्यक दवा का छिड़काव वेअसर होने का डर पैदा कर दिया है़ इलाके में आलू की खेती जीवकोपार्जन का मुख्य स्रोत कहा जाता है़ इसके उत्पादन से ही किसान अपने आर्थिक संसाधन जुटा पाते हैं़ बुनियादी आवश्यकता से लेकर आवश्यक आवश्यकता की पूर्ति आलू की खेत पर निर्भर करता है़ प्रखंड में कृषि योग्य भूमि 2500 एकड़ है़ इसमें लगभग एक हजार एकड़ में इस बार आलू की फसल बोयी गयी है़ हर वर्ष अधिक भू भाग में आलू की खेती को लेकर यहां तीन शीत गृह के सैकड़ों कर्मी का भविष्य दावं पर होता है़ फसल के डैमेज होने से इन कर्मियों के समक्ष भुखमरी की समस्या के उत्पन्न होने की संभावनाएं बनती हैं़ आलू की फसल को लेकर किसान की सजगता मौसम के आगे फीका पड़ जाता है़ विगत तीन दिनों से मौसम अनुकूल नहीं होने से फसल के रक्षार्थ सरकारी स्तर से कोई गाइड लाइन नहीं दिया जाना भी किसानों के प्रति सरकारी उदासीनता को दर्शाता है़ ऐसे दवा निर्माता अपनी दुकान चलाने के लिये लुभावने दावे कर रहें है़ं किसानांे को असली नकली दवा भी उनके भरोसे को चूर कर चूका है़ फसलों की रक्षा के लिये की जाने वाली दवा का उपयोग के लिये सर्टिफाइड दुकान का अभाव बना है.

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