नप की उदासीनता से पार्षद खफा

हाल नगर परिषद का : जनहित मुद्दों की उपेक्षा का लगाया आरोप समस्तीपुर : नगर परिषद क्षेत्र में करीब 11 हजार से अधिक आवासीय मकान हैं. इसके अलावा करीब दो हजार व्यावसायिक प्रतिष्ठानें भी हैं. इनसे नगर परिषद को प्रति वर्ष लाखों रुपये होल्डिंग टैक्स के रुप में राजस्व की प्राप्ति होती है. टैक्स वसूली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2015 9:32 AM
हाल नगर परिषद का : जनहित मुद्दों की उपेक्षा का लगाया आरोप
समस्तीपुर : नगर परिषद क्षेत्र में करीब 11 हजार से अधिक आवासीय मकान हैं. इसके अलावा करीब दो हजार व्यावसायिक प्रतिष्ठानें भी हैं. इनसे नगर परिषद को प्रति वर्ष लाखों रुपये होल्डिंग टैक्स के रुप में राजस्व की प्राप्ति होती है.
टैक्स वसूली की मंथर ति के कारण आवासीय व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर लाखों रुपये टैक्स बकाया है. इसकी वसूली के लिए अगस्त 13 को हुई नगर परिषद बोर्ड की बैठक में पार्षदों ने निर्णय लिया कि शिविर लगाकर इन बकाया और चालू होल्ंिडग टैक्स की वसूली की जायेगी. इसमें सूद माफी पर भी निर्णय लिया गया था. परंतु नगर परिषद की ओर से शिविर नहीं लगाया गया.
इतना ही नहीं इसको लेकर शहरी क्षेत्र में प्रचार प्रसार भी नहीं हुए. इसके कारण आम लोग टैक्स चुकाने के प्रति गंभीर नहीं हो सके. नतीजा हुआ कि लाखों लाख रुपये नगर परिषद का टैक्स बाकी चल रहा है. फिलवक्त नगर परिषद इन बकाया टैक्सों की वसूली में जुटा है. इसमें लोगों से बकाया राशि के साथ सूद की वसूली भी की जा रही है जो आम लोगों पर भारी पड़ रहा है.
इसी तरह बीआरजीएफ योजना में चालू वित्तीय वर्ष में सरकार की ओर से प्रथम किस्त के रूप में 40 लाख रुपये प्राप्त हुए. परंतु अब तक स्वीकृत योजनाओं पर कार्य नहीं कराया गया. इसमें ऐसी योजनाएं भी शामिल हैं जिससे शहर का विकास प्रभावित है. बावजूद नप प्रशासन शिथिल पड़ा हुआ है. इसका खामियाजा शहर और यहां केलोगों को भुगतना पड़ रहा है.
नप कर्मी भी हड़ताल पर
नगर परिषद पार्षदों के अनिश्चितकालीन धरना पर बैठने से नप प्रशासन की मुश्किलें और भी बढ़ गयी हैं. नगर परिषद के कर्मचारी पहले से ही मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे हैं. हड़ताली कर्मचारी अपनी मांगें पूरी होने तक आंदोलित रहने की घोषणा कर चुके हैं.
अभी नप प्रशासन इससे निबटने के लिए जद्दोजहद में जुटी ही थी कि पार्षदों ने धरना आरंभ कर प्रशासन को सकते में डाल दिया है. अब देखना है कि नगर परिषद प्रशासन दोनों ओर से हो रहे आंदोलन की धार को किस तरह विकास कार्यो की ओर मोड़ने में कामयाब हो पाता है.

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