विशेष :: संघर्ष का दूसरा नाम शिवनन्दन शर्मा
फोटो संख्या : 13 1967 से लगे हैं समाजसेवा मेंकेदारनाथ तीर्थ यात्रा से मिली प्रेरणाप्रतिनिधि, मोरवा (समस्तीपुर)गरीब गुरबों का मसीहा व संघर्ष का प्रतीक बन चुके शिवनन्दन शर्मा आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं. 14 नवंबर 1946 को मोरवा दक्षिणी पंचायत के रायटोली में एक किसान परिवार के घर में जन्मे इनका जीवन संघर्षों […]
फोटो संख्या : 13 1967 से लगे हैं समाजसेवा मेंकेदारनाथ तीर्थ यात्रा से मिली प्रेरणाप्रतिनिधि, मोरवा (समस्तीपुर)गरीब गुरबों का मसीहा व संघर्ष का प्रतीक बन चुके शिवनन्दन शर्मा आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं. 14 नवंबर 1946 को मोरवा दक्षिणी पंचायत के रायटोली में एक किसान परिवार के घर में जन्मे इनका जीवन संघर्षों में बीता. चाहे मोरवा प्रखंड में अस्पताल का मुद्दा हो या खुदनेश्वर स्थान को पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने का सभी इन्हीं के संघर्ष की बदौलत संभव हो पा रहा है. गरीब गुरबों पर्चा के लिए इनका दरवाजा खटखटाते हैं तो जात पात का भेदभाव भूलाकर अमीर गरीब के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं. 69 वर्षीय इस समाजसेवी का बाबा खुदनेश्वर प्रबंधन कमेटी का सचिव बनाया गया. इन्हें अब भी मलाल है कि मोरवा में थाना, मवेशी अस्पताल का जीर्णोद्धार, मंदिर को पर्यटन स्थल का दर्जा न मिलना, मोरवा अस्पताल एंबुलेंस 103 की व्यवस्था नहीं हो पायी है. समाजसेवी श्री शर्मा ने बताया कि 1965 में केदारनाथ तीर्थ यात्रा के दौरान इन्हें समाज सेवा की प्रेरणा मिली. तब से लेकर आजतक अभाव में जीवन गुजारने के बावजूद उन्होंने समाज सेवा नहीं छोड़ा. लोग इनकी तारीफ करते नहीं थकते क्योंकि जिसके लिए अपना दुख से भारी दूसरेां की दुख लगता है. सामाजिक सेवा में सर्वस्व न्योछावर करने वाले को मलाल है कि प्रशासन उनकी बातों पर उतना गौर नहीं फरमाता जबकि समस्या आमजनों से जुड़ी होती है.