आखिर मास्टरमाइंड कौन!

समस्तीपुर : मंडल रेल प्रबंधक अरुण मलिक को पत्र भेज कर रंगदारी और हथियारों की खेप मांगने के मामले में दबोचे गये दोनों आरोपितों को स्थानीय पुलिस ने मुक्त कर दिया है. इस मामले में बगहा पुलिस के माध्यम से हिरासत में लिये गये कैलाश नगर निवासी रामजी सहनी और उमा शंकर सहनी को उसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2015 10:44 AM
समस्तीपुर : मंडल रेल प्रबंधक अरुण मलिक को पत्र भेज कर रंगदारी और हथियारों की खेप मांगने के मामले में दबोचे गये दोनों आरोपितों को स्थानीय पुलिस ने मुक्त कर दिया है. इस मामले में बगहा पुलिस के माध्यम से हिरासत में लिये गये कैलाश नगर निवासी रामजी सहनी और उमा शंकर सहनी को उसके परिजनों के साथ वापस घर भेज दिया गया है. स्थानीय पुलिस ने इसकी विडियोग्राफी भी करायी है. इसके साथ ही मुक्त किये गये दोनों लोगों से मुचलका भी भरा लिया गया है.
इससे हिरासत में लिये गये दोनों युवकों के साथ उसके परिजनों ने राहत की सांस ले ली है. वहीं इस मामले में अब तक की गयी पुलिसिया तफ्तीश के नतीजे सिफर पर आकर अटक गयी है. इसके साथ ही यह सवाल भी पुलिस के समक्ष चुनौती बन कर सामने आ पहुंची है कि आखिर डीआरएम को पत्र भेज कर इस तरह की हरकत करने के पीछे किसका हाथ है. पूरे प्रकरण के पीछे किसका मास्टर माइंड लगा हुआ है.
इन सवालों को सुलझाने के लिए पुलिस को अभी और मशक्कत करनी होगी. क्योंकि पत्र के आलोक में मोबाइल नंबर के आधार पर पुलिस ने जिन दो लोगों को शक के आधार पर हिरासत में लिया था उनसे कई दिनों तक चली पूछताछ के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची है कि उनका दोष प्रथम दृष्ट्या साबित नहीं हो पा रहा है. इस बाबत संपर्क करने पर पुलिस अधीक्षक सुरेश प्रसाद चौधरी ने बताया कि बगहा के वार्ड व जिला पार्षद के अलावा वहां के पुलिस अधीक्षक से इस मामले में जानकारी हासिल की गयी है.
लेकिन उसमें कहीं से दोनों युवकों का चरित्र संदेहास्पद प्रतीत नहीं होने की जानकारी दी गयी. इसके बाद अपने स्तर से भी समस्तीपुर के पुलिस अधीक्षक श्री चौधरी ने मामले की पड़ताल करने की जानकारी देते हुए बताया कि जांच के दौरान इन दोनों लोगों के विरुद्ध आरोप सिद्ध करने के लिए सबूत नहीं मिले हैं. इसके बाद पुलिस ने उन्हें बांड के आधार पर मुक्त करते हुए परिजनों के हवाले कर दिया है.

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