मछुआरों को मिले आदिवासी का दर्जा
वारिसनगर. जंगली की तरह जंगल में जीवन यापन करने वाले मछुआरों को आदिवासी का दर्जा मिलना चाहिए. देश के कुछ हिस्सों में यह अधिकार मिला हुआ है, परंतु बिहार के लिए संघर्ष की जरूरत है. उक्त बातें निषाद समाज जागरण रथयात्रा का भादोघाट में स्वागत कार्यक्र म को संबोधित करते हुए जिला मछुआ संघ के […]
वारिसनगर. जंगली की तरह जंगल में जीवन यापन करने वाले मछुआरों को आदिवासी का दर्जा मिलना चाहिए. देश के कुछ हिस्सों में यह अधिकार मिला हुआ है, परंतु बिहार के लिए संघर्ष की जरूरत है. उक्त बातें निषाद समाज जागरण रथयात्रा का भादोघाट में स्वागत कार्यक्र म को संबोधित करते हुए जिला मछुआ संघ के जिलाध्यक्ष राजेश कुमार सहनी ने कही. इनका कहना था कि गृह विहीन मछुआरों के लिए सरकार ने गृह निर्माण करने का प्रावधान बनवाया, बावजूद इसपर अमल नहीं किया गया है. साथ हीं इन्होंने मछुआरों के बच्चों के लिए मछुआरा कल्याण छात्रावास की व्यवस्था करने की मांग की. स्थानीय समाजसेवी शंकर चौधरी ने बिहार में मल्लाह समाज की आबादी पौने दो करोड़ होने के हिसाब से विधानसभा में 47 सीट की हिस्सेदारी बनती है. इसे जो भी पार्टी सहयोग करेगी उसका मछुआरा समुदाय भी तन-मन-धन से मदद करेगा. कार्यक्र म को चंद्रभूषण चौधरी, रामनरेश सहनी, रथ पर सवार बैद्यनाथ सहनी, रामनाथ सहनी, ब्रह्मदेव सहनी, विंदेश्वर सहनी, मीडिया प्रभारी गणेश राज आदि ने संबोधित किया.