साहित्य परिवर्तन का नियामक : डॉ प्रभात

फोटो संख्या : 5 व 6समस्तीपुर कॉलेज में साहित्य पर हुई सेमिनारप्रतिनिधि, समस्तीपुरललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई समस्तीपुर कॉलेज में बुधवार को स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग ने बुधवार को साहित्य की सामाजिक और परिवर्तनकामी भूमिका (द सोशल एंड ट्रांसफॉर्मिंग फंक्शन ऑफ लिटरेचर) विषय पर प्रभावशाली संगोष्ठी हुई. इसमें विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने भाग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 4, 2015 6:02 PM

फोटो संख्या : 5 व 6समस्तीपुर कॉलेज में साहित्य पर हुई सेमिनारप्रतिनिधि, समस्तीपुरललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई समस्तीपुर कॉलेज में बुधवार को स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग ने बुधवार को साहित्य की सामाजिक और परिवर्तनकामी भूमिका (द सोशल एंड ट्रांसफॉर्मिंग फंक्शन ऑफ लिटरेचर) विषय पर प्रभावशाली संगोष्ठी हुई. इसमें विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. सेमिनार में साहित्यकारों और अन्य कलाकारों की सामाज के विकास में अहम भूमिका को रेखांकित किया गया. मनोविज्ञान के विद्वान कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ जवाहर लाल झा ने सेमिनार का उद्घाटन किया. पीजी अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ प्रभात कुमार ने विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि साहित्यकला अपने आप में एक महत्वपूर्ण गतिविधि है और यह परिवर्तन का नियामक है. साहित्यकारों ने लोगों के जीवन की समझ को प्रभावित किया है और उनकी मानसिक प्रवृत्तियों और उनके विचारों को परिवर्तित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. आधुनिक समाज ने मनुष्य और प्रकृति के बीच व्याप्त एकता को बदरुप किया है. इसके कारण साहित्यकारों को सौंदर्य संबंधी सोच विकसित करने की आवश्यकता महसूस हुई जो वास्तव में खो दिये गये प्राकृतिक स्वरूप की याद में वे लिखना गंवारा करते हैं. साहित्य अपने सबसे अच्छे स्वरूप में व्यक्तियों को दुनियां के साथ एकात्मकता स्थापित करने में सक्षम बनाता है. जो संभव है वास्तविक जीवन में न बचा हो. डॉ लल्लन उपाध्याय, डॉ शशि कुमार शशि, प्रो. यूपी सिंह, डॉ सुरेंद्र प्रसाद सुमन, डॉ एके पाठक, डॉ एमएम तिवारी आदि ने भी सेमिनार को संबोधित किया.

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