पूछ रहे हैं स्कूली बच्चे ,बता मेरी खता क्या है?

13 वें दिन भी विद्यालयों में लटका रहा तालामोरवा. कहते हैं कि दो की लड़ाई में तीसरा को मुनाफा होता है लेकिन यहां ठीक उल्टा हो रहा है. शिक्षक एवं सरकार की लड़ाई में बच्चे बुरी तरह बरबाद हो रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र के 82 प्राथमिक व 26 मध्य विद्यालयों में 13 दिनों से ताला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 21, 2015 5:03 PM

13 वें दिन भी विद्यालयों में लटका रहा तालामोरवा. कहते हैं कि दो की लड़ाई में तीसरा को मुनाफा होता है लेकिन यहां ठीक उल्टा हो रहा है. शिक्षक एवं सरकार की लड़ाई में बच्चे बुरी तरह बरबाद हो रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र के 82 प्राथमिक व 26 मध्य विद्यालयों में 13 दिनों से ताला लटका है. जहां कल तक बच्चों की किलकारी गूंजती थी आज वहां सन्नाटा पसरा है. अनिश्चितकालीन विद्यालय के बंद होने से बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है. बच्चों की मानें तो मार्च का महीना परीक्षा में समाप्त हो गया. अप्रैल में नये सत्र की शुरुआत हुई तो हड़ताल ले मारा. ऐसे में कोर्स पूरा करना कैसे संभव हो पायेगाा. बच्चों के अभिभावक बताते हैं कि अगर सरकार शिक्षकों की बात मान लेती है तो दीवाली शिक्षकों के घर होगा और वाह वाही सरकार को मिलेगी और इसके वोट बैंक में इजाफा होगा लेकिन उन मासूम बच्चों का क्या होगा जिसकी पढ़ाई पीछे पड़ रही है. वह कौन सा दवा बच्चों को दिया जायेगा जिसे एक महीना का कोर्स बच्चा एक दिन में पूरा कर ले. विद्यालय बंद होने से बच्चों की पढ़ाई से लिंक ही टूट गया है. बच्चे दिनभर मटरगश्ती कर अभिभावकों की परेशानी बढ़ा रहे हैं. बच्चों का भविष्य गर्त में समा रहा है लेकिन इसकी फिक्र किसी को नहीं है. बच्चों के अभिभावक यह सोचकर घबरा रहे हैं कि अगर हड़ताल लंबा चला तो बच्चों का भविष्य खराब हो जायेगा जिसकी भरपाई शायद इस सत्र में नहीं हो पायेगा. इधर हड़ताली शिक्षक अपनी मांगों पर कायम है. प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में ताला लटका हैं. ताला तो बच्चों के भविष्य पर भी लटक सकता है अगर इसका समाधान तुरंत न निकाला गया.

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