संकट में रहे परिवार के साथ

समस्तीपुर : संवेदनाओं को महसूस करने की बात करें तो किसी भी आम भारतीय की सोच दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले कहीं ज्यादा भावुक हैं. खास कर पारिवारिक रिश्तों को ले कर पूरब के ये लोग कहीं ज्यादा संवेदनशील हैं. यह बात रविवार को आये भूकंप के नए झटके के बाद ज्यादा ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2015 2:41 AM
समस्तीपुर : संवेदनाओं को महसूस करने की बात करें तो किसी भी आम भारतीय की सोच दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले कहीं ज्यादा भावुक हैं. खास कर पारिवारिक रिश्तों को ले कर पूरब के ये लोग कहीं ज्यादा संवेदनशील हैं.
यह बात रविवार को आये भूकंप के नए झटके के बाद ज्यादा ही शिद्दत से महसूस की गयी, जब मौका भागने का हो या भयावह रात जाग कर गुजारने का़ लोगों ने एक दूसरे का हाथ मजबूती से पकड़े रखा और एक दूसरे के कंधों को अपने सिर का सहारा बनाया़
दरअसल फाकामस्त जीवन शैली पर भरोसा करने वाले शहरवासियों के लिए शनिवार व रविवार के भूकंपीय झटके भय से ज्यादा उत्कंठा के विषय थ़े लोग डरे तो जरूर मगर इसमें भय से कहीं अधिक उनके मन और सोच पर ‘जो कभी नहीं देखा और महसूसा’ का रोमांच हावी था़
हालांकि भूकंप की खबरों पर उनकी पूरी नजर थी़ अलबत्ता रविवार को आया दूसरा भूकंप लोगों को अंदर तक दहला गया और चिंता में डाल गया क्यों कि अब यही भूकंप आपदा की शक्ल में उनके सामने था़ भूकंप की बारंबारता, नेपाल से आने वाली खबरों में मौतों की बढ़ती संख्या और स्कूल-कॉलेजों के बंदी की घोषणाएं उनको दहलाने के लिए काफी थी़
दोपहर से रात तक बाजारों में पसरा सन्नाटा इस बात की गवाही दे रहा था कि लोग किस कदर डरे सहमे हैं. यह डर लोगों के मन में किस कदर बैठ गया था इसका एहसास हमें तब हुआ जब रात हमनें कुछ घरों के दरवाजे खटखटाए और लोगों को बिस्तर की बजाय एक ही कमरे में सिर से सिर जोड़ कर रात जागते हुए काटते पाया.
पिछले चौबीस घंटे के दौरान भूकंप के झटके से कई बार धरती कांप चुकी है़ अगले कुछ घंटों में लोगों को और हल्के झटके का सामना करना पड़ सकता है़ हालांकि तीव्रता लगातार कम होने के कारण इन झटकों से जानमाल की बड़े पैमाने पर क्षति होने की संभावना नहीं है, लेकिन लगातार धरती हिलने के कारण लोगों की मानसिक स्थिति पर इसका असर पड़ेगा़

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