अस्सी फीसदी स्कूलों में शौचालय नहीं

स्वच्छ पेयजल के लिए भटकते बच्चेविद्यापतिनगर. प्रखंड के सरकारी विद्यालय आज भी मूलभूत सुविधाओं की बांट जोह रहा है. फलस्वरुप शिक्षा में गुणात्मक सुधार की बातें अब तक महज छलावा साबित हो रही है. अस्सी फीसदी विद्यालयों में बालिका शौचालय नहीं है. बीस फीसदी पेयजल सुविधा से वंचित है. जबकि 15 फीसदी विद्यालय भवनहीन हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 4, 2015 5:03 PM

स्वच्छ पेयजल के लिए भटकते बच्चेविद्यापतिनगर. प्रखंड के सरकारी विद्यालय आज भी मूलभूत सुविधाओं की बांट जोह रहा है. फलस्वरुप शिक्षा में गुणात्मक सुधार की बातें अब तक महज छलावा साबित हो रही है. अस्सी फीसदी विद्यालयों में बालिका शौचालय नहीं है. बीस फीसदी पेयजल सुविधा से वंचित है. जबकि 15 फीसदी विद्यालय भवनहीन हैं. प्रखंड में कुल 98 वें विद्यालय हैं. इसमें प्राथमिक 60 व मध्य स्कूलों की संख्या 38 है. इन 98 स्कूलों में बालिका शौचालय सत्रह में ही उपलब्ध है. वह भी साफ सफाई व्यवस्था का दंश झेलता हुआ. चौदह विद्यालय भवनहीन हैं. इनमें से कुछ बगल के विद्यालयों में शिष्ट कर कागजी खानापूर्ति की बदौलत कार्यरत है. बाकी उपलब्ध कराये गये भूमि पर पेड़ों की छांव में जैसे तैसे चलाये जा रहे हैं. जिसमें बच्चों को घोर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. उमवि बभौरा में चार सौ पचास बच्चे हैं. आठ शिक्षक एवं चार महिला शिक्षिका वाले इस विद्यालय में शौचालय नहीं है. जिससे स्थिति का आकलन किया जा सकता है. 98 स्कूल में सत्रह ऐसे ही जिनमें पानी की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में सरकारी शिक्षा में गुणात्मक सुधार की बातें छलावा नहीं तो और क्या है.

Next Article

Exit mobile version