/ू/रअहंकार मिटाने के लिए ज्ञान का होना आवश्यक

/र* भक्ति के बगैर जीवन में पूर्णता नहीं आती * कठोर न्याय समाज की समस्या का समाधान हैप्रतिनिधि, मोहिउद्दीननगर : विष्णु महायज्ञ को लेकर रामकथा के अन्तिम दिन कथा वाचिका साध्वी पुष्पा उपाध्याय ने ज्ञान मंच से आस्थावानों को अमृतमयी रामकथा का रसास्वादन करायी. कहा कि अहंकार मिटाने के लिए ज्ञान का होना आवश्यक है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2015 9:04 PM

/र* भक्ति के बगैर जीवन में पूर्णता नहीं आती * कठोर न्याय समाज की समस्या का समाधान हैप्रतिनिधि, मोहिउद्दीननगर : विष्णु महायज्ञ को लेकर रामकथा के अन्तिम दिन कथा वाचिका साध्वी पुष्पा उपाध्याय ने ज्ञान मंच से आस्थावानों को अमृतमयी रामकथा का रसास्वादन करायी. कहा कि अहंकार मिटाने के लिए ज्ञान का होना आवश्यक है. भक्ति के आकर्षण से जीव चित्त खीचकर शोभायमान बन जाता है. सीता और राम का परिणय ज्ञान और भक्ति के परिणय के समान है. जीव चित्त भगवान के गुणों में समाहित होकर जबतक आकृष्ट नहीं हो जाता है तबतक जीवन में पूर्णता नहीं आ सकती है. कथा प्रसंग को आगे बढाते हुए कहा कि न्यायपरायण न्यायाधिश स्वभावत: कोमल नहीं हो सकता. न्याय के सिंहासन पर बैैठने वाला, दण्ड की व्यवस्था देने वाला यदि कोमल भावनाओ का वशीभूत हो जाएगा तो वह किसी को कठोर दण्ड नहीं दे सकता. परशुराम जी की धारणा के अनुसार कठोर न्याय समाज की समस्या का समाधान हैं इस लिए न्याय और दण्ड के प्रमुख प्रतिनिधि परशुराम कठोरता मे विश्वास करते है , कोमलता में नहीं ़मौके पर प्रो. रवीन्द्र नाथ सिंह, चन्द्रकेत सिंह उर्फ पिंकू सिंह, अजित कुमार श्रीवास्तव, अर्जुन राय, हरकेश्वर राय, बैजू राय, रामप्रसाद राय, त्रिलोकी राय, पर्यावरणसेवी सुजीत भगत, रणधीर भाई, डा. सुनील सिंह, डा. उपेन्द्र राय, रामनाथ राय, शिवनाथ राय, दीपक कुमार, बिट्टू कुमार, धनंजय कुमार आदि मौजूद थे.

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