शाम के बाद ब्लैक आउट

समस्तीपुरः पटना में विद्युत कर्मचारियों के साथ हुए र्दुव्‍यवहार के विरोध में शुक्रवार की संध्या 4.40 बजे से मोहनपुर पावर ग्रिडको बिजली की आपूर्ति सीएलडी पटना से ठप कर दी गयी है. जिसके कारण संपूर्ण जिला अंधकार में डूब गया है. इमरजेंसी के साथ-साथ स्वास्थ्य, पेयजल और रेल पर भी इसका विपरीत असर पड़ने लगा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2013 4:36 AM

समस्तीपुरः पटना में विद्युत कर्मचारियों के साथ हुए र्दुव्‍यवहार के विरोध में शुक्रवार की संध्या 4.40 बजे से मोहनपुर पावर ग्रिडको बिजली की आपूर्ति सीएलडी पटना से ठप कर दी गयी है. जिसके कारण संपूर्ण जिला अंधकार में डूब गया है. इमरजेंसी के साथ-साथ स्वास्थ्य, पेयजल और रेल पर भी इसका विपरीत असर पड़ने लगा है. जानकारी के अनुसार ब्लैक आउट के कारण मोहनपुर पावर ग्रिड से जिले के 16 फीडरों में होने वाली विद्युत आपूर्ति एक साथ बंद हो गयी है. जिसके कारण करीब 48 हजार विद्युत उपभोक्ताओं के घर अंधेरा पसर गया है. जिससे घरों में पेयजल संकट गहराने लगा है.

लोग चापाकल और अन्य जलस्त्रोत की तलाश में भटकने के साथ पानी को संजोने की फिराक में जुट गये हैं. खास तौर से शहरी क्षेत्र में पीएचइडी को बिजली नहीं मिलने के कारण जलमीनार के हलक सूखने लगे हैं. जिसके कारण जगह-जगह जलापूर्ति के लिए विभाग की ओर से लगाये जाने वाले टोटे के होठ कुछ ही घंटों में बुरी तरह से सूख गये हैं. उधर, रेल प्रशासन जेनरेटरों के सहारे ही स्टेशनों पर पेयजल और विद्युत आपूर्ति कर परिचालन समेत अन्य कार्यो को सुचारु रुप से निपटाने में जुटा. वहीं स्वास्थ्य विभाग में आपरेशन थियटरों के साथ इमरजेंसी सेवा को फिलहाल जेनरेटरों के सहारे निपटाया जा रहा है.

वार्डो में बिजली इसी सहारे मिल रही है. लेकिन संचालक का कहना है कि यदि लगातार यही स्थिति बनी रह गयी तो अगले ही दिन से वैकल्पिक विद्युत आपूर्ति कर पाना कठिन होगा. जिसका असर स्वास्थ्य सेवा को बुरी तरह से प्रभावित करेगा. इधर, शुक्रवार की सुबह से जिले का हालात यह रहा कि विद्युत अधिकारियों और कर्मचारियों के एक साथ आंदोलन में भागीदारी के लिए पटना चले जाने के कारण विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था पूरी तरह चरमरायी रही. जैसे ही शाम से सीएलडी ने आपूर्ति ठप किया जिला अंधकार में डूब गया है. जिसके बाद से प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साथ आम लोगों के चेहरे पर परेशानियों की लकीरें उभरने लगी है, जो इस गतिरोध में फंस कर जैसे जैसे समय बीत रहा है चिंता की लकीरें उनकी उतनी ही गहरी होती जा रही है.

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