दाता के नाम का प्रस्ताव का नहीं मिला अपेक्षित लाभखुले में बैठने को विवश होते हैं प्राथ्िामक विद्यालय के बच्चे सिंघिया. सरकार के अथक प्रयास के बावजूद प्रखंड के 12 नवसृजित प्राथमिक विद्यालय अब भी भूमिहीन हैं़ इन विद्यालयों को जमीन नहीं होने के कारण अपना भवन नहीं है.कई विद्यालयों में कई जमीन विवादास्पद हैं अथवा दूसरे विद्यालयों से टैग होकर किसी प्रकार अध्ययन व अध्यापन की खानापूरी हो रही है़ लेकिन इसमें नामांकित करीब 10 हजार छात्र छात्राओं को पेड़ तले, खुले आसमान के नीचे कंपकपाती ठंढ़ में, सामुदायिक भवन में अथवा किसी अस्थायी जगह पर पठन पाठन को मजबूर होना पड़ रहा है़ इन्हें किस प्रकार की गुणवतापूर्ण शिक्षा मिल रही होगी, इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है़ जिन विद्यालयों को सरकारी भूमि नहीं मिल पा रही है या कोई दाता नहीं मिल पा रहे है उन्हें भूमि दिलाने की ओर विभाग क्रय करने पर विचार कर रहा है़ सरकार को जमीन देने वाले दाताओं के नाम को स्कूल के नाम में शामिल करने के प्रस्ताव का अपेक्षित लाभ इन स्कूलों को नहीं मिल पाया है़ हालांकि कई स्कूलों को शिक्षा प्रेमी लोगों ने जमीन दान में दिया है मगर अब भूमि की बढ़ती कीमत की वजह से इन विद्यालयों को जमीन नहीं मिल पा रहा है़ जिसमें प्राथमिक विद्यालय करजन टोल, प्राथमिक विद्यालय बलाठ, प्राथमिक विद्यालय फुलहारा हरिजन, प्राथमिक विद्यालय शेखटोली चक्का, प्राथमिक विद्यालय कोणमा, प्राथमिक विद्यालय सनहट्टा, प्राथमिक विद्यालय बसौली, प्राथमिक विद्यालय मुरदौली, प्राथमिक विद्यालय गोनवारा लिलहौल, प्राथमिक विद्यालय पतैल एवं प्राथमिक विद्यालय अकोणमा के नाम शामिल हैं़
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प्रखंड के दर्जनभर स्कूल भूमिहीन
दाता के नाम का प्रस्ताव का नहीं मिला अपेक्षित लाभखुले में बैठने को विवश होते हैं प्राथ्िामक विद्यालय के बच्चे सिंघिया. सरकार के अथक प्रयास के बावजूद प्रखंड के 12 नवसृजित प्राथमिक विद्यालय अब भी भूमिहीन हैं़ इन विद्यालयों को जमीन नहीं होने के कारण अपना भवन नहीं है.कई विद्यालयों में कई जमीन विवादास्पद हैं […]
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