सदर में 10 बेड का बना स्पेशल वार्ड

एइएस से लड़ने को किया गया पुख्ता इंतजाम समस्तीपुर : सीमावर्ती जिलों में एइएस के बढ़ रहे प्रकोप को देखते हुए जिला का स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है. इसके लिए सदर अस्पताल में व्यापक प्रबंध किये गये हैं. एइएस पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए जिले के दो वरीय चिकित्सक क्रमश: डॉ प्रेम बर्धन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2015 7:13 AM
एइएस से लड़ने को किया गया पुख्ता इंतजाम
समस्तीपुर : सीमावर्ती जिलों में एइएस के बढ़ रहे प्रकोप को देखते हुए जिला का स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है. इसके लिए सदर अस्पताल में व्यापक प्रबंध किये गये हैं. एइएस पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए जिले के दो वरीय चिकित्सक क्रमश: डॉ प्रेम बर्धन व डॉ राजेंद्र कृष्ण को विशेष रूप से प्रशिक्षित कराया गया है.
सदर अस्पताल में दस बेड वाला स्पेशल वार्ड बनाया गया है. जरूरी उपकरण एवं दवाओं से लैश कर दिया गया है. वहीं जिले के सभी अनुमंडलीय व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारियों को भी विशेष दिशा-निर्देश दिया गया है.
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ श्याम मोहन दास के मुताबिक जिले में इस साल एइएस का एक भी केस सामने नहीं आया है. लेकिन सीमावर्ती जिला मुजफ्फरपुर में इस बीमारी ने एक बार फिर अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है. इसलिए एहतियातन अपने यहां भी चौकसी बढ़ाते हुए सारी कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एइएस)के मरीजों के लिए सभी तरह के दवाएं मौजूद है. फॉगिंग मशीन भी उपलब्ध है. जरूरत के अनुरूप इसका उपयोग किया जायेगा.
क्या है एइएस
एइएस एक प्रकार का वायरल बीमारी है जो मच्छरों के काटने से होती है. अमूमन अप्रैल माह से नवंबर माह तक इसके अत्यधिक फैलने का डर बना रहता है. यह बीमारी खासकर एक साल से 15 साल तक के बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है. यह बीमारी जैपनीज इंसेफलाइटिस, इन्टेरो सहित अन्य वायरसों द्वारा भी होता है. इसके वायरस प्रदूषित जल जमाव एवं नालियों की गंदगी में पाये जाते हैं जो सांस एवं खाने के जरिये बच्चों के शरीर में पहुंच जाते हैं और मस्तिष्क को संक्रमित कर देते हैं.
सावधानी जरूरी
एइएस पीड़ित मरीजों के इलाज के प्रति सावधानी बहुत जरूरी है. तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोंछना चाहिए. मरीज के उम्र के हिसाब से पारासिटामोल की गोली या सीरप दिया जाना चाहिए. साफ पानी में ओआरएस घोलकर पिलाना चाहिए. बेहोशी एवं मिर्गी की स्थिति में मरीज को छायादार एवं हवादार स्थान पर लिटाना चाहिए साथ ही इस स्थिति में मरीज के मुंह में कोई दवा या घोल नहीं डालना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version