profilePicture

मॉनसून की बिगड़ती चाल से हलकान हो रहे किसान

पूसा : मॉनसून के आने की पपीहा के भांति टकटकी लगाये हुए बिहार के किसानों को इसकी बिगड़ती हुई चाल से हलकान होना पर रहा है. खरीफ फसल लगाने को बेताव हो रहे किसानों को मॉनसून का बिहार में प्रवेश बेहतर प्रतीत नहीं हो रहा है. इधर मॉनसून अपना बेरुख रूप का परिचय देते हुए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 17, 2015 7:51 AM
पूसा : मॉनसून के आने की पपीहा के भांति टकटकी लगाये हुए बिहार के किसानों को इसकी बिगड़ती हुई चाल से हलकान होना पर रहा है. खरीफ फसल लगाने को बेताव हो रहे किसानों को मॉनसून का बिहार में प्रवेश बेहतर प्रतीत नहीं हो रहा है. इधर मॉनसून अपना बेरुख रूप का परिचय देते हुए खंड वृष्टि में तब्दील होता जा रहा है.
क्षेत्र के जानकार किसानों की माने तो विगत पांच वषों से मॉनसून इसी प्रकार से किसान को दगा दे रही है. परिणामत: समय से बीज स्थली में कम नमी रहने के कारण बीज की बुआई नहीं की जा सकती है. बीज तैयार होने की स्थित में पानी के अभाव में समय या फिर देर से भी रोपाई संभव नहीं हो पाता है.
राजेद्र कृषि विश्वविद्यालय के ग्रामीण मौसम सेवा केंद्र के चेयरमैन सह वैज्ञानिक डॉ आईबी पाण्डेय ने बताते हुए कहा कि अगले दो से तीन दिन में बिहार में मॉनसून को सक्रि य हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है. इन्होंने कहा कि जून माह में महज 20 मिलीलीटर बारिश उतरी बिहार में दर्ज किया गया है.
पूर्व वर्ष की भांति ही इस बार भी ज्यादा अनुमान है की खंड वृष्टि से किसान परेसान रह सकते हैं. किसानों से सलाह है कि अगात वर्षा के लाभ उठाते हुए बिहार के किसान धान के अगात किस्म का चुनाव करे. पूर्वानुमान की अवधि में 5-15 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चलने का अनुमान है. एक दिन देर शाम बारिश की वजह से तापमान में गिरावट दर्ज करते हुए मंगलवार को अधिकतम 36 डिग्री एवं न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
पशुपालकों से खास सलाह देते हुए वैज्ञानिक ने कहा कि पशु के खाने में हरे चारे के साथ प्रोटीन व कैल्सियम की मात्र को बढ़ा कर खिलावें व शुद्ध जल पिलावें एवं छायादार जगहों पर रखें. जून माह के 6-16 तारीखों के तापमान पर एक नजर दें तो विगत 2012 में भी जून माह में ठीक इसी प्रकार से तापमान में बढ़ने व घटने की प्रक्रि या लगा हुआ था.

Next Article

Exit mobile version