साल भर बातचीत पर खर्च किये 3.40 करोड़

ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले शहरी क्षेत्र के उपभोक्ता करते 4.25 गुना अधिक बातसमस्तीपुर, प्रतिनिधि. मोबाइल फोन ने दूरियों को नजदीकियों में बदल दिया है. संचार क्रांति को परिभाषित करने में मोबाइल फोन ने अपनी महती भूमिका निभायी है. पहले जहां लोग घंटों एसटीडी की लाइनों में कॉल करने में खड़ा रहना पड़ता था. वहीं मोबाइल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2015 7:05 PM

ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले शहरी क्षेत्र के उपभोक्ता करते 4.25 गुना अधिक बातसमस्तीपुर, प्रतिनिधि. मोबाइल फोन ने दूरियों को नजदीकियों में बदल दिया है. संचार क्रांति को परिभाषित करने में मोबाइल फोन ने अपनी महती भूमिका निभायी है. पहले जहां लोग घंटों एसटीडी की लाइनों में कॉल करने में खड़ा रहना पड़ता था. वहीं मोबाइल फोन के आने के बाद अब हरेक हाथों में मोबाइल फोन पहुंच सका है. जिला दूर संचार कार्यालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस कंपनी के मोबाइल धारक जिलावासी ने साल भर में मोबाइल फोन से बातचीत करने पर 3,40,35000 रुपये खर्च कर डाले हंै. इसमें प्रीपेड ग्राहकों से 3 करोड़ 78 लाख 2 हजार व पोस्टपैड ग्राहकों से 32 लाख 53 हजार की आय बीएसएनएल को हुयी है. औसतन रोजाना बीएसएनएल को 93 हजार की आय मोबाइल फोन से होती है. वहीं ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ता शहरी क्षेत्र के मुकाबले कम बात करते हंै. शहरी क्षेत्र के उपभोक्ता औसतन ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले 4.25 गुणा अधिक बातचीत करते हैं. शहरी क्षेत्र में केबुल के कटाव के बाद भी बीएसएनएल के राजस्व में इसकी भूमिका कायम है . लैंडलाइन से बीएसएनएल को 10400340 रु पये की आय विगत साल हुयी है. इसमें शहरी उपभोक्ता से 8413317 रुपये की आय हुयी है. इसी तरह ग्रामीण इलाकों से 1987023 रुपये की आय बीएसएनएल को हुयी है. यहां बता दें कि अन्य निजी मोबाइल कंपनियों के माध्यम से भी बातें हुई है. जिसका आंकड़ा भी लाखों लाख में होगा.

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