सनातन धर्म में जीवन की सार्थकता : पुष्पा

फोटो संख्या : 1 विद्यापतिनगर . संवेदन की शून्यता प्राणी जगत के लिये निर्जीव समान है़ सनातन धर्म संवेदनाओं के जीवंत रखने का एक प्रबल माध्यम है़ जिससे मानव जीवन सार्थक हो जाता है़ उक्त सुविचार धर्म के मर्मज्ञ ज्ञाता पुष्पा जी के हैं़ वे विद्यापतिधाम में सोमवार को प्रवचन के माध्यम से धार्मिक प्रसाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2015 6:05 PM

फोटो संख्या : 1 विद्यापतिनगर . संवेदन की शून्यता प्राणी जगत के लिये निर्जीव समान है़ सनातन धर्म संवेदनाओं के जीवंत रखने का एक प्रबल माध्यम है़ जिससे मानव जीवन सार्थक हो जाता है़ उक्त सुविचार धर्म के मर्मज्ञ ज्ञाता पुष्पा जी के हैं़ वे विद्यापतिधाम में सोमवार को प्रवचन के माध्यम से धार्मिक प्रसाद श्रद्धालुओं को ग्रहण करा रही थी़ विद्यापतिधाम परिसर में श्री श्री शतचंडी सह विष्णु महायज्ञ के तीसरे दिन की संध्या भक्तिभाव में डूबा रहा़ धार्मिक प्रवचन सुनने को लोग आतुर थे़ आसपास के महिला पुरुष रोज की दिनचर्या से फुरसत मिलते ही प्रवचन स्थल की ओर चल दिये जहां भक्तिभाव की गंगा अविरल धारा प्रवाह बह रही थी़ बक्सर से पधारी धर्म की ज्ञाता पुष्पा जी आज के अपने प्रवचन में सनातन धर्म की महिमा का गुणगान की़ सनातन धर्म को मानवीय जीवन का आधार बताया़ कहा कि जीवन में शांति, सौहार्द परस्पर भाईचारा और धार्मिक सहिशून्यता जरुरी है़ रामायण के कई पहलुओं का उदाहरण पेश कर सनातन धर्म की मर्यादा को सुशोभित भी किया़ इससे पूर्व धार्मिक बोध के ज्ञाता कुशेश्वर चौधरी ने राम विवाह की झांकी का अपने गायन में समावेश कर लोगों की आस्था को सराबोर कर दिया़ महायज्ञ को लेकर विद्यापतिधाम में आस्था परवान चढ़ा है़ नौ दिवसीय यज्ञ के धार्मिक लाभ के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं़ गत शुक्रवार से शुभारंभ महा यज्ञ का समापन 25 जुलाई को किया जायेगा़

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